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होलाष्टक आज (शुक्रवार) से आरंभ, मांगलिक कार्यों पर लगेगा ब्रेक

होलाष्टक आज (शुक्रवार) से आरंभ, मांगलिक कार्यों पर लगेगा ब्रेक

14 मार्च से 13 अप्रैल तक रहेगा मलमास,नहीं होंगे वैवाहिक कार्य

रिपोर्ट अमित मोनू यादव

सहारनपुर-होलाष्टक इस वर्ष 7 मार्च  से शुरू होगा और 13 मार्च तक रहेगा। होलाष्टक की इस अवधि के दौरान शादी विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य निषेध रहेंगे। 13 मार्च (बृहस्पतिवार )को होलाष्टक समाप्त होगा तथा इस दिन होलिका दहन भी होगा। 

आमतौर पर होली के बाद विवाह और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस वर्ष 14 मार्च को मलमास शुरू हो रहा है। मलमास के दौरान शुभ कार्यों पर रोक रहती है। इस वर्ष विवाह समेत मांगलिक कार्य 13 अप्रैल को मलमास खत्म होने के बाद ही आरंभ होंगे।

होलाष्टक किसे कहते हैं और इसकी अवधि कब से कब तक होती है

होलाष्टक शब्द होली और अष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है. जिसका भावार्थ होता है होली के आठ दिन. होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी से शुरू होकर फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक रहता है. अष्टमी तिथि से शुरू होने कारण भी इसे होलाष्टक कहा जाता है. दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि हमें होली आने की पूर्व सूचना होलाष्टक से प्राप्त होती है. इसी दिन से होली उत्सव के साथ-साथ होलिका दहन की तैयारियां भी शुरू हो जाती है।

 होलाष्टक आठ दिनों का होता है।

होलाष्टक की अवधि में मांगलिक कार्य क्यों नहीं करने चाहिए

होलाष्टक के समय विवाह, मुंडन, नामकरण, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य करने पर रोक रहती है। इस अवधि में सभी ग्रह उग्र स्थिति में रहते हैं। इस कारण वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, इसीलिए शुभ और मांगलिक कार्य निषेध रहते है।

होलाष्टक धार्मिक और ज्योतिष की दृष्टि से विशेष क्यों माना जाता है।

होलाष्टक का समय धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष माना जाता है. ये आत्म चिंतन, पूजा पाठ और दान पुण्य के लिए उत्तम होता है. इसके पीछे पौराणिक मान्यता भी है. होलाष्टक का संबंध भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा से जोड़ा जाता है. हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोकने के लिए फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होली तक आठ दिन अत्यधिक यातनाएं दी. इन आठ दिनों में प्रकृति का वातावरण उग्र हो गया था. इससे ये समय शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाने लगा.

मलमास किसे कहते है

साल के कुछ समय ग्रह नक्षत्रों की स्थिति के कारण शुभ नहीं माने जाते हैं और उस समय शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. आमतौर इस समय को मलमास या खरमास कहा जाता है. इस समय ग्रह नक्षत्रों की स्थिति के कारण शुभ कार्य रोक दिए जाते हैं.

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