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सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की गोली मारकर हत्या, डिस्ट्रिक्ट प्रेस क्लब ने की न्याय और सुरक्षा की मांग

सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की गोली मारकर हत्या, डिस्ट्रिक्ट प्रेस क्लब ने की न्याय और सुरक्षा की मांग

पत्रकार के परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी की मांग-जावेद साबरी

पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाएं-अबू बकर शिवली

अपराधियों की शीघ्र गिरफ्तारी हो - सुरेंद्र चौहान

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

 सहारनपुर-सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारकर नृशंस हत्या कर दी गई। इस जघन्य अपराध ने पूरे पत्रकार जगत को झकझोर कर रख दिया है। 

डिस्ट्रिक्ट प्रेस क्लब के चेयरमैन जावेद साबरी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए पत्रकार के परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। साथ ही, उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि पत्रकार के परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाए।श्री साबरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस दावे पर भी सवाल उठाया जिसमें वे अक्सर कहते हैं कि "उत्तर प्रदेश से बदमाश भाग चुके हैं।" उन्होंने कहा कि जब अपराधी भाग चुके हैं, तो फिर एक पत्रकार को गोलियों से भूनने वाले लोग कौन थे?क्लब के संयोजक अबू बकर शिवली ने भी इस हत्या पर सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि पत्रकार समाज का आईना होते हैं, जो सच को उजागर करने का साहस रखते हैं। चाहे भूमाफिया हो, खनन माफिया हो या किसी भी स्तर के अपराधी, पत्रकार उनकी सच्चाई को उजागर करते हैं। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि देश में पत्रकारों की हत्याएं हो रही हैं। उन्होंने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक सख्त कानून बनाए जाने की मांग की, ताकि पत्रकार स्वतंत्र रूप से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें।क्लब के अध्यक्ष सुरेंद्र चौहान ने भी इस हत्या की कड़ी निंदा की और सरकार से मांग की कि अपराधियों को शीघ्र गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को मृतक पत्रकार के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और उचित मुआवजा देना चाहिए। श्री चौहान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आग्रह किया कि उत्तर प्रदेश में पत्रकारों को स्वतंत्रता और सुरक्षा दी जाए, ताकि वे बिना किसी डर के सत्य को सामने ला सकें।सीतापुर की इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएगी? क्या पत्रकारों को अपनी कलम की स्वतंत्रता के लिए डर के बिना काम करने का अधिकार मिलेगा? यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार इस जघन्य हत्या के बाद क्या कार्रवाई करती है।

 


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