वक्फ बिल संशोधन संसद में पास करने के प्रयासों की निंदा
13 मार्च को दिल्ली में होने वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आह्वान
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर-वक्फ संशोधन बिल को लेकर मुत्तहिदा मजलिस-ए-अमल व मिल्लत वैलफेयर कमेटी, के पदाधिकारियों ने वर्णित संगठनों ने सरकार के वक्फ संशोधन बिल संसद में पास कराने की कोशिशों के दृष्टिकोण पर अत्यधिक गम व गुस्सा व्यक्त किया गया और 13 मार्च को दिल्ली के जंतर मंतर पर होने वाले प्रदर्शन में भागीदारी करने कहां आवाहन किया गया
आज नाज बिल्डिंग में समिति के पदाधिकारी साबिर अली खान ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि हुकूमत संविधान का प्रयोग नाजायज़ तरीके से करती आ रही है। संविधान को रौंदना इस हुकूमत का पुराना इतिहास है. जिसे समय-समय पर दोहराती रहती है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सभी अमन पसंद लोगो मुख्यतः मुसलमानों से अपील की जाती है कि वह हक व इन्साफ के लिये, ज़ालिमो की हिमायत, मजलूमो की हिमायत और जालिमो की हिमायत के लिए ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आवहान पर तत्वाधान मे 13 मार्च, दिल्ली के जंतर मंतर पर पुर अमन विशाल धरना देने के लिये बहुसंख्या में पहुँचे। उन्होंने कहा कि मुत्तहिदा मजलिस-ए-अमल, सहारनपुर व मिल्लत वैलफेयर कमेटी, सहारनपुर वक्फ संशोधन बिल को उम्मते मुस्लिमा की धार्मिक स्वतंत्रता पर कुठाराधार और उसके बुनियादी अधिकारों एवं सामाजिक वजूद पर करारा हमला है, जिसका जवाबी हल जरूरी है। केन्द्रीय सरकार के दो बैसाखी संगठनो का धर्मनिरपेक्ष होने का दावा भी बेनकाब हो गया, जिनकी राजनीति का एक बड़ा हिस्सा मुसलमान है। चन्द्रा बाबू नायडू और नितिश कुमार मुसलमानो के धोखाधडी व झूठे वादों से वोट लेते हैं और फिर हिन्दूवादी फॉसीवादी पार्टी बीजेपी के साथ हाथ मिलाये हुये बैठे है। मुसलमानों सहित बगैर उत्पीड़ित वर्गों से अपील की जाती है कि इन और इन जैसे धर्मनिरेक्षता का मखौटा लगाये नेताओं को कड़ी से कड़ी सजाये दी जाये।मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि वह अल्लाह के भरोसे पर रहे, वह डर व भय मे न लिप्त हुये बिना हर चैलेंज का मुकाबला हिकमत व तदबीर के साथ दें। यह देश हमारा भी है और इसको हमने अपने खून पसीने से सींचा है, जिन्हे यह मुकालता है कि वह हमे नम्बर दो का नागरिक बना देंगे तो उनके मुकालते को मुसलमानों सहित देश के सच्चे धर्मनिरपेक्ष, गैर मुस्लिम भाई दूर करना जानते है। भड़काऊ भाषणों मोबलिंचिंग और धार्मिक स्थलों की ध्वस्थता या उन पर नाजायज दावों से मिल्लते इस्लामिया डरने वाली नही है, वह कल भी संविधान, धर्मनिरपेक्षता और कानून के वर्चस्व एवं अमन व शांति के पक्षधर है और वह लोकतांत्रिक मूल्यो के पाबंद है, जो आगे भी रहेंगे।प्रेस वार्ता में साबिर अली खान, मौलाना इकबाल फलाही व , एम. जमाल असलम, ताजदार खान, शानदार खान, मौ० अशरफ, हाफिज उवैस व हाजी मौ० इरफान आदि मुख्य है।
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