ग्लोकल विश्वविद्यालय में किया गयाविकसित भारत के निर्माण में युवा शक्ति का योगदान" विषय पर आधारित कार्यक्रम का आयोजन
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर-ग्लोकल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. पी. के. भारती की प्रेरणा और कुलसचिव प्रोफेसर शिवानी तिवारी की मार्गदर्शन में, तथा कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शोभा त्रिपाठी और डॉ. संजीव नांदल के संयोजन से, रायपुर कला गांव के ग्राम प्रधान इंजीनियर मोहम्मद सलमान के सहयोग से एक दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया।
यह शिविर "विकसित भारत के निर्माण में युवा शक्ति का योगदान" विषय पर आधारित था।गांव के प्रधान, जो कि ग्लोकल विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं और सबसे कम उम्र के प्रधान हैं, ने अपने गांव के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके द्वारा किए गए कार्यों में प्राइमरी स्कूल में सीटों की व्यवस्था, जल संचयन, सामुदायिक केंद्र, बारात घर, सफाई व्यवस्था, और रेसिंग सर्किल शामिल हैं। शिविर का उद्देश्य विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रेरित करना था कि यदि कोई व्यक्ति शिक्षित है, तो वह विकसित भारत के निर्माण में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।शिविर की शुरुआत प्रार्थना से हुई, इसके बाद छात्रों को गांव के पास एक मैदान में ले जाया गया, जहां उन्होंने क्रिकेट ग्राउंड बनाने के लिए सफाई की। इस कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति ने शिविर का निरीक्षण किया और छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें जमीनी स्तर पर काम करना चाहिए और किसी भी कार्य को करने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने छात्रों से कैंप के अनुभवों पर संवाद भी किया।कार्यक्रम के पहले वक्ता के रूप में फातिमा परवीन आकिल, असिस्टेंट प्रोफेसर, कंप्यूटर साइंस विभाग ने छात्रों को शिक्षा पर जोर देने और तकनीकी क्षेत्र में विकास की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता, फार्मेसी कॉलेज के डीन डॉ. उमेश कुमार ने सामाजिक विकास, स्वरोजगार, और कौशल विकास पर विचार व्यक्त किए। चीफ प्रॉक्टर मोहम्मद जमीरूल इस्लाम ने सभी को शुभकामनाएं दीं।ग्राम प्रधान ने कहा कि सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली योजनाओं और धनराशि का सही तरीके से उपयोग करके हमारा देश बहुत जल्दी विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो सकता है। इस अवसर पर छात्र सौरभ कुमार, नवीन कुमार, नूर आजम, अलका सिंह, जेसिका गुप्ता और सलोनी धीमान ने अपने विचार साझा किए। अंत में, डॉ. संजीव नांदल ने सभी को स्मृति चिन्ह प्रदान किए, और डॉ. शोभा त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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