सामान्य शिक्षा स्वास्थ्य और राजनीतिक भागीदारी महिलाओं के लिए आवश्यक -डॉ कुदसिया अंजुम
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर- जागरूक महिला संस्था परचम वह एम एच एस वेलफेयर सोसाइटी द्वारा महिला दिवस के उपलक्ष में एक कार्यक्रम रिचर्ची इंग्लिश स्कूल आतिश बाजान में किया गया जिसकी अध्यक्षता मंजरी मनोज ने की व संचालन सीमा जहूर ने किया।
स्कूल प्रिंसिपल खदीजा तौकीर ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक मजदूर आंदोलन के रूप में आरंभ हुआ 8 मार्च 1908 में न्यूयॉर्क शहर में इसकी शुरुआत हुई जब 15000 महिलाओं ने काम के कम घंटे और वोट के हक के लिए मार्च किया उनकी मांग थी कि 10 घंटे काम के बदले में उन्हें अच्छा वेतन दिया जाए। सूफिया जैदी ने कहा कि महिला जिस समानता की हकदार है वह आज में भी उन्हें हासिल नहीं हुई है । कार्यक्रम संयोजिका डॉक्टर कुदसिया अंजुम ने कहा कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन नहीं मिलता और अभी उनको पुरुषों के बराबर वेतन लेने में 70 साल लगेंगे आर्थिक हिस्सेदारी ,अवसर की सामान्य शिक्षा स्वास्थ्य और राजनीतिक भागीदारी महिलाओं के लिए आवश्यक है। अध्यक्षता करते हुए मंजरी मनोज ने कहा की महिलाओं के हित में बहुत सारे कानून बने हैं दहेज के खिलाफ कानून भ्रूण हत्या के खिलाफ कानून लड़कियों की शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप पिता की जायदाद में बेटियों की हिस्सेदारी घरेलू हिंसा कानून बाल विवाह सती प्रथा के खिलाफ कानून वन स्टॉप सेंटर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और अपराध नियंत्रण कानून परंतु इसके बावजूद भी महिलाओं के खिलाफ अपराध रुक नहीं रहे हैं कार्यक्रम में कवित्री मंजरी मनोज द्वारा एक प्रभावशाली कविता पढ़ी गई महिला शक्ति का आधार ,जगत की पालन हारी है ,कवित्री सोफिया ज़ैदी के द्वारा एक सुंदर कविता पढ़ी गई अबला नहीं हूं मैं नहीं हूं कमजोर नारी ,मैं ऑन हूं देश की अपने, जीतूंगी हर बाजी हिम्मत नहीं हारी।कार्यक्रम संयोजिका डॉक्टर कुदसिया अंजुम ने एक कविता पढ़ी ।भला ये कैसा है मन शूर ,मुझे यह जुल्म नहीं मंजूर ,समझ कर औरत को मजबूर ,करे है खिदमत पर मामूर ,करूं हूं दिन भर घर का काम क्या मैं हूं कोई मजदूर। संचालन करते हुए सीमा ज़हूर ने कहा कि सरकार द्वारा जो सरकारी स्कीम महिलाओं के हित में बनाई गई हैं उनके लिए जागरुकता प्रोग्राम चलाया जाए और पुरुषों को संवेदनशील बनाने के लिए स्कूल कॉलेज में ऐसे कोर्स पढ़ाया जाए जहां महिलाओं के प्रति पुरुषों का व्यवहार और नजरिया बदले बुनियादी दिक्कत समाज की इस सोच को बदलने की है जो बेटियों को दो यम दर्जे का मानते हैं ।इसके अतिरिक्त साजदा शाहिद शहला इरफान यासमीन सिद्दीकी आदि ने भी विचार रखे।जिन महिलाओं ने समाज में योगदान किया है उनको परचम वह एम एच एस वेलफेयर सोसाइटी के द्वारा सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया सम्मानित होने वालों में मंजरी मनोज साजदा शाहिद खदीजा तौकीर सीमा जहूर शहला इरफान सूफिया जैदी ,इशरत बेबी नाजिया यासमीन सिद्दीकी प्रमुख है ।
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