प्रदेश में गन्ने का लाभकारी मूल्य ₹700 कुंतल गन्ना किसानों को नगद दिया जा सकता है- भगत सिंह वर्मा
गन्ना किसानों का गन्ने से मोह भंग-भगत सिंह वर्मा
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
देवबंद -उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को आसानी से नकद गन्ने का लाभकारी मूल्य ₹700 कुंतल दिया जा सकता है। वर्ष 1967 में जब पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह जी बने उसे समय गन्ने का मूल्य 12 रूपये 10 पैसे कुंतल था।
आज यहां भा कि यू वर्मा कार्यालय रविदास मार्ग पर किसानों की बैठक को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन वर्मा व पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा की योगी सरकार लगातार गन्ना किसानों की घोर उपेक्षा कर रही है गन्ना किसानों को उनकी लागत मूल्य 550 रुपए कुंतल से भी बहुत कम मात्र ₹360 कुंतल चीनी मिलों से गन्ना भुगतान किया जा रहा है। जबकि पड़ोसी छोटा राज्य हरियाणा में उत्तर प्रदेश से गन्ने का मूल्य₹50 कुंतल अधिक रहता है। इस बार हरियाणा में 30 रुपए कुंतल अधिक₹400 कुंतल गन्ने का मूल्य है। जबकि वहां पर कृषि यंत्र बीज कीटनाशक ट्रैक्टर खाद आदि पर काफी छूट है। एक समय उत्तर प्रदेश के अंदर हरियाणा से अधिक गन्ना मूल्य होता था। जबकि उत्तर प्रदेश के गन्ने में अधिक रिकवरी है। उस समय प्राइमरी स्कूल के अध्यापक की नौकरी₹70 प्रतिमा थी और सोने का मूल्य एक तोला 125 रुoका था आज अध्यापक की नौकरी 1000 गुना बढ़कर₹70000 प्रति माह से भी अधिक हो गई है और सोना 600 गुणा से भी अधिक बढ़ गया है। इस हिसाब से तो गन्ने का मूल्य₹12000 कुंतल बैठता है। लगातार गन्ना किसानों को गन्ने का मूल्य लागत मूल्य से भी कम मिलने पर प्रदेश के गन्ना किसानों पर बैंक सहकारी समितियां अन्य संस्थाओं का कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। जबकि प्रदेश सरकार को प्रतिवर्ष एक्साइज ड्यूटी के रूप में गन्ने से 50 हजार करोड रुपए राजस्व प्राप्त होता है और इसके अलावा गन्ने से चीनी सिरा अल्कोहल से बनने वाले हजारों उत्पाद से प्रतिवर्ष प्रदेश सरकार को एक लाख करोड रुपए जीएसटी व अन्य टैक्स से राजस्व प्राप्त होता है। इसके बावजूद भी भाजपा की योगी सरकार प्रदेश के गन्ना किसानों को खोई बगास के मूल्य के बराबर भी गन्ने का मूल्य नहीं दिला पा रही है। जिसके कारण प्रदेश के गन्ना किसानों का लगातार गन्ने से मोह भंग होता जा रहा है। गन्ना किसान मजबूरी में गन्ने के अलावा फल सब्जी पॉपुलर गेहूं धान की तरफ जा रहा है। जिससे आने वाले समय में प्रदेश सरकार को भी भारी हानि होगी और चीनी मिलों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। प्रदेश के गन्ना किसानों को आशा थी कि इस बार हरियाणा की बराबर उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य मिलेगा। जिस पर मुख्यमंत्री योगी ने पानी फेर दिया है जिसका खामियाजा भाजपा की योगी सरकार को विधानसभा के 2027 विधानसभा चुनाव में झेलना पड़ेगा। बैठक की अध्यक्षता करते हुए भारतीय किसान यूनियन वर्मा के प्रदेश उपाध्यक्ष राव शाहिद प्रधान ने कहा कि प्रदेश सरकार गन्ना किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है। पहले से ही गन्ना किसानों के सामने मजदूरों का भारी संकट है। बैठक का संचालन करते हुए प्रदेश महामंत्री आसिम मलिक ने कहा कि केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार को मिलकर मनरेगा योजना को सीधा खेती से जोड़कर किसानों को मजदूर उपलब्ध कराने चाहिए और गन्ने का लाभकारी मूल्य ₹700 कुंतल तत्काल गन्ना किसानों को दिलाना चाहिए। बैठक में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी राष्ट्रीय सलाहकार रजत शर्मा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहम्मद फिरोज खान राष्ट्रीय महामंत्री रामकुमार नेताजी प्रदेश उपाध्यक्ष पंडित नीरज कपिल प्रदेश उपाध्यक्ष मोहम्मद जहीर तुर्की प्रदेश संगठन मंत्री धर्मवीर चौधरी प्रदेश सचिव रिशिपाल गुर्जर प्रधान मंडल मीडिया प्रभारी दुष्यंत सिंह मंडल उपाध्यक्ष सरदार गुरविंदर सिंह बंटी मंडल उपाध्यक्ष कृपाल सिंह जिला उपाध्यक्ष वसीम जहीरपुर जिला मंत्री महबूब हसन जिला संगठन मंत्री सुरेंद्र सिंह एडवोकेट आदि ने भाग लिया।
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