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योग आत्मा को परमात्मा से और शरीर को पंचमहाभूतों से जोड़ने का साधन -आचार्य महामंडलेश्वर सन्त कमल

योग आत्मा को परमात्मा से और शरीर को पंचमहाभूतों से जोड़ने का साधन -आचार्य महामंडलेश्वर सन्त कमल 

योग से होता है तन और मन निरोग- योगी जी सौराज 

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

सहारनपुर-जड़ और चेतन के संयोग से मनुष्य का निर्माण होता है। आत्मा और शरीर एक दूसरे के पूरक हैं।शरीर से आत्मा निकाल जाए तो शरीर के सभी अंग होते हुए भी वह मृत हो जाता है।योग का अर्थ होता है जोड़ना—शरीर को पंचमहाभूतों के साथ और मन तथा आत्मा को परमात्मा के साथ। योग भारतवर्ष की संस्कृति का अभिन्न अंग है और मानव जीवन के स्वास्थ्य का आधार है क्योंकि स्वस्थ स्वस्थ तन मे ही मन और आत्मा सुख की अनुभूति करते हैं। उपरोक्त विचार “उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान”, लखनऊ द्वारा आयोजित “त्रैमासिक योग शिविर” के शुभारम्भ अवसर पर दिव्य शक्ति अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर सन्त कमल किशोर महाराज ने दिल्ली रोड स्थित आयास आयुर्वेदिक हस्पताल के हाल, सहारनपुर मे व्यक्त किए।

शिविर का उदघाटन सन्त कमल किशोर, योगी जी सौराज कुमार और गुरु माता अनीता ने महऋषि पतञ्ज्लि और योगेश्वर श्री कृष्ण के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर मंत्रोच्चार के साथ किया गया।संस्थान के योगाचार्य श्री सौराज कुमार योगी ने अष्टांग योग के आठ अंगों के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस व्यक्ति के जीवन में यम,नियम,आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार,धारणा,ध्यान और समाधि  है, वह जीवन के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच कर आनंद की अनुभूतियाँ करता हुआ मोक्ष पद को प्राप्तकर लेता है।योग से तन ही नहीं मन की शुद्धि भी होती है अतः सभी से अनुरोध है कि अपनी दैनिक दिनचर्या में योगाभ्यास को नियमित रूप से जोड़ें।योगाचार्य श्री सौराज कुमार योगी ने बताया कि “उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान”, लखनऊ द्वारा आयोजित इस शिविर के पूर्ण होने पर सभी तीस साधकों को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रमाणित प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के निदेशक श्री विनय श्रीवास्तव,अपर मुख्य सचिव भाषा विभाग जितेंद्र कुमार,सचिन जी एवं दिव्या रंजन श्री महेंद्र पाठक और शिवम गुप्ता एवं सभी समस्त पदाधिकारी ने आन लाइन पूरे उत्तर प्रदेश मे 66 योगकेन्द्रों के सभी योग साधक प्रशिक्षुओं को शुभकामनाएँ देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। योजना के सर्वेक्षक श्रीमान महेन्द्र पाठक ने इस सत्र के शुभारम्भ में सभी प्रशिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि 'पहला सुख निरोगी काया, अतः संस्थान का मुख्य उद्देश्य है कि सभी स्वस्थ रहते हुए रोजगार का अवसर प्राप्त करें'। संस्थान के प्रशिक्षण समन्वयक दिव्यरंजन ने इस कार्यक्रम में सभी को दिशा निर्देश देते हुए सकुशल कक्षाएँ चलाने के लिए निर्देश दिया एवं सभी को शुभकामनाएँ प्रदान की। कार्यालयीय पत्रव्यवहार व वृत्तविषयक निर्देश श्री शिवम गुप्ता ने दिए। इस अवसर पर संस्थान के पदाधिकारी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी दिनेश मिश्र, डा. जगदानन्द झा, श्री भगवान सिंह चौहान, प्रशिक्षण समन्वयक धीरज मैठानी, समन्वयिका राधा शर्मा, अनिल गौतम, नितेश कुमार श्रीवास्तव, वीरेंद्र तिवारी, पूनम मिश्रा, शान्तनु मिश्र, ऋषभ पाठक की उपस्थिती उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम में सन्त कमल किशोर को पुष्पगुच्छ एवं शाल ओढ़ा कर उनका अभिनन्दन किया गया। योग शिक्षा और सफल संचालन सौराज कुमार योगी ने किया।

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