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ग्लोकल विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जन्म शताब्दी समारोह के अंतर्गत काव्य कुंभ

ग्लोकल विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जन्म शताब्दी समारोह के अंतर्गत काव्य कुंभ 

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

सहारनपुर- ग्लोकल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. पी.के. भारती की प्रेरणा और कुलसचिव प्रोफेसर शिवानी तिवारी की अनुप्रेरणा से भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जन्म शताब्दी समारोह के अंतर्गत काव्य कुंभ का आयोजन ग्लोकल विश्वविद्यालय के सभागार में किया गया। यह आयोजन विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई द्वारा किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रतिकुलपति प्रोफेसर डॉ सतीश कुमार शर्मा,अध्यक्ष सीए ए.पी. सिंह तथा संयोजक डॉ. शोभा त्रिपाठी रहीं। विशिष्ट अतिथियों में कुलसचिव प्रोफेसर शिवानी तिवारी, प्रतिकुलपति आयूष प्रोफेसर डॉ जॉन फिन्बे , सलाहकार वित्त एवं कानून श्री निजामुद्दीन तथा निदेशक प्रशासन गुरुदयाल सिंह कटियांर रहे। समस्त कार्यक्रम में विशेष सानिध्य देवबंद के समाज सेवी गौरव विवेक का रहा। 

कार्यक्रम का प्रारंभ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ। वाणी वंदना डॉ शोभा त्रिपाठी ने प्रस्तुत की। इसके उपरांत कुलसचिव प्रोफेसर शिवानी तिवारी ने सभी अतिथियों का स्वागत उद्बोधन किया । उन्होंने कहा कि अटल बिहारी बाजपेयी न केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ थे, बल्कि एक संवेदनशील कवि भी थे। उनकी कविताएँ देशभक्ति, मानवता और जीवन के गहरे अनुभवों से ओत-प्रोत थीं। वे अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रप्रेम, संघर्ष, साहस और आत्मनिर्भरता की भावना जगाते थे। उन्होंने अटल बिहारी बाजपेई की रचना ' गीत नही गाता हूं' भी पढ़ी। इसके उपरांत प्रतिकुलपति डॉ प्रोफेसर सतीश कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि अटल बिहारी बाजपेई की लेखनी में ओज, संवेदना और प्रेरणा का अद्भुत संगम था, जो पाठकों को ऊर्जा और हौसला प्रदान करती है। उनकी कविताएँ समय-समय पर जनसभाओं और संसद में भी गूंजती रहीं, जिससे स्पष्ट होता है कि वे अपने विचारों और भावनाओं को सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं रखते थे, बल्कि उन्हें जीवन में भी उतारते थे। उनकी कविता "हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा" दृढ़ संकल्प और आशावादिता का प्रतीक है।कवि कुंभ में विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी कवि के रूप में सहभागिता की। जिसमें प्रमुख रूप से नूर आजम, अलका सिंह, सलमा, जेसिका गुप्ता, शाबाज , फुजैल इक़बाल, शांभवी मिश्रा, अब्दुल अज़ीज़ , शादमल अलमास , अरशद खान और मुदस्सिर पटेल ने रचनाएँ प्रस्तुत की। आमंत्रित कवियों में जाने-माने शायर  डॉ साबिर बेहटवी, तथा दिल्ली से पधारी डॉ. संतोष कुमारी समप्रीति , डॉ शोभा त्रिपाठी और कार्यक्रम अध्यक्ष सीए. ए.पी. सिंह सिंह ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत करके समा बांध दिया। इसके उपरांत काव्य प्रस्तुत करने वाले  छात्रों को प्रोत्साहन चिह्न दिया गया। कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर संजीव नांदल ने सबका धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डीन फार्मेसी डॉ उमेश कुमार, डीन लॉ डॉ प्रीतम सिंह पवार, कुलानुशासक जमीर - उल - इस्लाम, उप प्राचार्य पैरामेडिकल हिना राजपूत सहित अनेक डीन व फैकेल्टी मेंबर भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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