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जागरूक महिला संस्था परचम द्वारा किया गया शेअरी महफिल का आयोजन

जागरूक महिला संस्था परचम द्वारा  किया गया शेअरी महफिल का आयोजन

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

सहारनपुर- जागरूक महिला संस्था परचम द्वारा परचम कार्यालय पर मुंबई से आई डॉक्टर सैयदा तबस्सुम नाडकर लेखिका साहित्यकार कवित्री के सम्मान में एक सम्मान समारोह  व शेअरी महफिल का आयोजन किया गया। जिसका आरंभ शमा रौशन करके किया गया।मुख्य अतिथि तबस्सुम नादकार को शाल व मोमेंटो देकर सम्मानित किया गयाशेअरी महफिल का संचालन खुर्रम सुल्तान ने व अध्यक्षता हारून साबिर ने की।

शेअरी महफिल में फ़राज़ अहमद ने पढ़ा जमी और फ़लक साथ मांग बैठा हूं,मैं बेखुदी में तेरा हाथ मांग बैठा हूं।दानिश कमाल ने ,हर फिक्र से आजाद थे जिसमें कभी दानिश ,बचपन वह पलट कर अगर आ जाए तो अच्छा ,कुटिया का वो बुझता दीप मेरा हिस्सा ,महफ़िल की हर शम्मा फिरोजा तेरे नाम। अरशद कुरैशी ने -यह और बात है कि मैं खुद ही अपनी हद में रहा ,यह और बात के वह मेरी दस्तरस में रहा  फैयाज नदीम ने--मेरा यह ख्याल के तारूफ कराऊ उसका ,यह और बात कि सब उसे पहले से जानते है आदील ताबिश ने-मेरी तन्हाई पर रोते हुए बोली  मुझसे,छोड़कर मुझको बताओ तो कहां थे कल शब। खुररम सुल्तान  ने पढ़ा मैं हूं पाक़ीज़ा गुनहगार न समझा जाए,एशो इशरत का तलबगार ना समझा जाए ,तलत सरोहा ने पढ़ा -मैं रही इश्क की उन मंजिलों में हूं के जहां , तेरा विसाल तो क्या हिज्र भी  मजा देगा । तबस्सुम नाडकर ने पढ़ा -जो आखों में जल उठी है वो ख्वाहिशें भी  शुमार करना,जो मेरे हिस्से में आई हैं वो अज़ीयते भी शुमार करना । डॉक्टर कुदसिया अंजुम ने पढ़ा उसकी नज़रों ने कई बार गुजारिश की है ,तब कहीं दिल ने मेरे उस पे नवाजिश की है  महफिल में डॉक्टर अयूब, अखलाक ,अनीस एडवोकेट अस्मा ,बुशरा, साजिदा शाहिद सानिया नाजिया खलीक अहमद अब्दुस समद साजिद आदि मौजूद रहे


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