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नई उम्मीद,नए जोश,जश्न और संकल्प के साथ हुआ नए साल के प्रथम दिन का आगाज

नई उम्मीद,नए जोश,जश्न और संकल्प के साथ हुआ नए साल के प्रथम दिन का आगाज

कही पूजा पाठ तो, कही प्रार्थनाएं तो कही दुआओं से हुआ नववर्ष का अभिनंदन

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जमकर छाया रहा नए साल का खुमार

रोमन शासक जूलियस सीजर के बनाए नए साल की परंपरा आज भी कायम

रिर्पोट अमित मोनू यादव 

सहारनपुर-नववर्ष 2025 का जनपद सहारनपुर में जबरदस्त उत्साह के साथ स्वागत किया । मंगलवार की देर रात तक जनपद में लोग नए साल के जश्न में डूबे रहे। वहीं नववर्ष के पहले दिन हर  कोई नववर्ष का स्वागत धार्मिक भावना के अनुरूप करते दिखा।कही पूजा अर्चना की गई तो कही प्राथनाएं आयोजित की गई।

मंगलवार की शाम और बुधवार से ही लोगों ने नववर्ष के स्वागत का सिलसिला शुरू कर दिया था। नए साल का स्वागत हर कोई अपने अपने तरीके से करने के लिए बेताब दिखे। कोई पार्टी देकर तो कोई अपने मित्र को उपहार देकर नव वर्ष की शुभकामनाएं दे रहा था। शहर में सुबह से ही फूलों की दुकानें सज गई थी। इनमें विभिन्न प्रकार के फूलों को सजाकर रखा गया था। फूलों के गुलदस्तों (बुके) तैयार कर बेचे जा रहे थे। वहीं उपहारों और मिठाई की दुकानों पर भी चहल पहल रही। बड़ी संख्या में लोगों ने अपने प्रिय और नजदीकी लोगों को उपहार दिया। स्कूली बच्चे ने सुबह से ही एक दूसरे को वॉट्सएप इंस्टा आदि सोशल मीडिया में माध्यम से बधाई देते नजर आए। नव वर्ष के प्रथम दिन होटलों और रेस्टोरेंट में लोगो ने अपने परिवार और परिवारिक मित्रो के संग खुशियां सांझी की। मान्यता है कोई भी नए कार्य की शुरुआत अगर ईश्वर के आशीर्वाद से की जाए तो सफलता जरूर मिलती है। ऐसे में नववर्ष की सुबह से ही मंदिरो, चर्चो और गुरुघरो में श्रद्धालुओं की आस्था उमड़ने लगी।हर कोई नववर्ष पर अपने अपने आराध्य से आशीर्वाद ले कर नए साल की शुरुवात एक नई उम्मीद ,एक नए संकल्प,एक नए उत्साह और एक नए विश्वास से करने को आतुर दिखाई दिया।महानगर के श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर, श्री हनुमान मंदिर घंटा घर, सिद्ध पीठ मां गमा देवी मंदिर गुरुद्वारा रोड ,गुरुद्वारा साहिब संत भागमल,देहरादून रोड ,गुड शेफर्ड चर्च गलियारा रोड,असेंबली ऑफ़ गॉड चर्च गिल कॉलोनी आदि प्रमुख धार्मिक स्थलों पर नववर्ष के उपल्क्ष पर  धार्मिक कार्यक्रमों में लोगो ने पहुंच कर अपने अराध्य का आशीर्वाद लिया।वही विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं के द्वारा नूतन वर्ष के उपलक्ष् में माता रानी के जागरण,श्री खाटू श्याम बाबा,श्री बाला जी के कीर्तन आदि भी आयोजित किए गए।नववर्ष मनाने की मान्यताओं की बात करें तो हमारे देश ही नहीं विदेशों में भी इसे मनाने को लेकर अपनी अपनी मान्यताएं हैं। लेकिन लगभग पूरी दुनिया में ही 1 जनवरी को ही नववर्ष मनाया जाता है।

रोमन शासक जूलियस सीजर की थी नए साल  की शुरुवात

रोमन शासक जूलियस सीजर ने ही सबसे पहले एक जनवरी को नया साल की शुरुवात की थी ।  जूलियस सीजर को खगोलशास्त्रियों से जानकारी के बाद चला कि पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा लगाने को 365 दिन और छः घंटे में लगते है  ऐसे में पहले से चली आ रही सोच 310 के साल को जुलियस सीजर ने खत्म कर   365 दिन कर दिए और इसी आधार से जूलियस कैलेंडर में साल में 12 महीने होने लगे।

ऐसे सामने आया लीप ईयर

हालांकि, बाद में भी इस विषय पर काफी विचार-विमर्श हुआ, जिसमें पोप ग्रेगरी को जुलियस सीजर के इस कैलेंडर में लीप ईयर की कमी दिखाई पड़ी और फिर उसने अपने धर्म गुरु से इस पर चर्चा की, जिनका नाम था गुरु सेंट बीड। उन्होंने बताया कि साल में 365 दिन और 6 घंटे नहीं, बल्कि 365 दिन 5 घंटे और 46 सेकेंड होते हैं। इस आधार पर लीप ईयर भी सामने आया और फिर गणनाएं पूरी हुईं। फिर रोमन कैलेंडर को हटाकर ग्रेगरियन कैलेंडर का निर्माण हुआ,जो कि हर पैमाने पर खरा उतरा और तभी से 1 जनवरी को नववर्ष मनाया जाने लगा।

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