ग्लोकल विश्वविद्यालय मे स्वयम पाठ्यक्रमों पर सेमिनार का हुआ आयोजन
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर-ग्लोकल विश्वविद्यालय में माननीय कुलपति प्रोफेसर पी. के. भारती की प्रेरणा और कुलसचिव प्रोफेसर शिवानी तिवारी की अनुप्रेरणा से स्वयम पाठ्यक्रमों पर सेंसिटाइज़ेशन और ओरिएंटेशन विषय पर एक महत्वपूर्ण सेमिनार आयोजित किया गया।
इस सत्र को ग्लोकल विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रोफेसर डॉ. एस.के. शर्मा और स्वयम पाठ्यक्रमों के नोडल अधिकारी धनंजय सिंह श्यामल ने संबोधित किया। इस कार्यक्रम में 30 से अधिक फैकल्टी मेंबर्स, डीन, प्रिंसिपल, समन्वयक और मेंटर्स ने भाग लिया। प्रोफेसर डॉ. एस.के. शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अनुभवात्मक, समग्र और बहु-विषयक शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि स्वयम प्लेटफॉर्म भारत सरकार की एक पहल है, जो डिजिटल डिवाइड को पाटने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सभी तक पहुँचाने का कार्य कर रही है। धनंजय सिंह श्यामल ने स्वयम प्लेटफॉर्म पर कोर्स में नामांकन, पाठ्यक्रम सामग्री तक पहुँचने, असाइनमेंट जमा करने और छात्र प्रगति पर निगरानी करने की प्रक्रिया का लाइव डेमो दिया। स्वयम पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए आंतरिक मूल्यांकन और अंतिम परीक्षा दोनों में न्यूनतम 40% अंक आवश्यक हैं। इसके अलावा, छात्रों- छात्राओं को कुल असाइनमेंट्स में से कम से कम 75% जमा करने होंगे, तभी वे प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं। सेमिनार में यह भी बताया गया कि कैसे विश्वविद्यालय स्वयम पाठ्यक्रमों को अपनी शैक्षणिक संरचना में शामिल कर सकते हैं। अब छात्रों- छात्राए अपने विश्वविद्यालय में ही स्वयं परीक्षा दे सकते हैं और इन पाठ्यक्रमों के अंक अपनी डिग्री में जोड़ सकते हैं। कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि विभिन्न पाठ्यक्रमों में छात्रों- छात्राओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, जो ऑनलाइन शिक्षा के प्रति उनकी रुचि को दर्शाता है। फैकल्टी सदस्यों को छात्रों का मार्गदर्शन करने के लिए सप्ताह में दो घंटे का मेंटरिंग सत्र आयोजित करने के लिए प्रेरित किया गया, जिससे छात्रों- छात्राओं को पाठ्यक्रम को प्रभावी ढंग से पूरा करने में सहायता मिलेगी। सेमिनार का समापन इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें फैकल्टी सदस्यों ने स्वयम पाठ्यक्रमों में छात्रों- छात्राओं की भागीदारी को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। यह आयोजन ऑनलाइन शिक्षा और कौशल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
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