निजी स्कूलों को भी बिल्डिंग ट्रांसफर करने का मिले अधिकार- डॉ मलिक
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर- मंडी रोड समिति के पीर वाली गली में स्थित नेशनल मुस्लिम एकेडमी में उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त विद्यालय शिक्षक संघ की बैठक महानगर अध्यक्ष गययूर आलम की अध्यक्षता और प्रदेश सचिव अमजद अली एडवोकेट के संचालन में संपन्न हुई
बैठक को संबोधित करते हुए शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अशोक मलिक ने कहा की उत्तर प्रदेश में आर टी ई के बच्चों का अन्य प्रदेशों के मुकाबले आधे से कम फीस प्रतिपूर्ति दी जा रही है जबकि उत्तर प्रदेश दुनिया के दूसरे प्रदेशों से अधिक राजस्व भारत सरकार को देता है गत वर्ष शासन में 450 रुपये प्रति माह फीस प्रतिपूर्ति को बढ़ाकर 1250 रुपए प्रति माह का दिए जाने का प्रस्ताव प्रस्तावित था लेकिन सरकार ने फिर वही 450 रुपए प्रति माह 11 महीने का झुनझुना निजी स्कूलों के संचालकों को थमा दिया है जबकि सरकारी स्कूल के शिक्षकों को को सरकार 12 महीने का वेतन देती है नर्सरी से फर्स्ट क्लास के बच्चों को 3 वर्ष लगते हैं जबकि सरकार एक 1 वर्ष का फीस प्रतिपूर्ति दी जाती है 2 साल की फीस प्रतिपूर्ति नहीं दी जाती जबकि बच्चों को प्री प्राइमरी में 3 वर्ष पढ़ाने के लगते हैं इसलिए सरकार निजी स्कूलों को पैसा देने के लिए खजाना खाली हो जाता है जबकि विधायक और सांसदों को वेतन और पेंशन बढ़ाने में विपक्ष भी विरोध नहीं करता यह निजी स्कूलों के लिए बेमानी है उधर बच्चों के अभिभावकों का ड्रेस और किताबों का पैसा भी नहीं दिया जा रहा है इसलिए गरीब दुर्बल वर्ग का बच्चा निजी स्कूलों में पढ़ाई करने में सक्षम नहीं है और बिना ड्रेस और बिना किताबों के बच्चों को नहीं पढ़ा जा सकता निजी स्कूलों के लिए गरीब दुर्बल वर्ग का बच्चा निशुल्क पढाना चुनौती बन गया है अधिकतर स्कूलों में 25 % की जगह 50% निजी स्कूलों को पढ़ाने के लिए मजबूर किया जा रहा है फीस देने वाला बच्चा स्कूल छोड़कर भाग रहा है और आरटीई का बच्चों का अनुपात बढ़ता जा रहा है इसके लिए निजी स्कूल संचालकों को अपने स्कूल संचालन करना मुश्किल हो गया है बहुत से स्कूल संचालकों ने बैंक से ऋण लेकर स्कूल चलाए जा रहे हैं और वह बैंक का ब्याज का पैसा देने में सामर्थ्य नहीं हो रहा इस प्रकार बहुत से स्कूल बंद हो चुके हैं और कुछ बंद होने के कगार पर है बैठक को अमजद अली एडवोकेट महानगर अध्यक्ष गययूर आलम जिला अध्यक्ष के पी सिंह ने कहा की निजी स्कूल संचालकों को शिक्षा विभाग 14 कमरे बनाने के लिए बाध्य कर रहे हैं लेकिन यदि परिषद के स्कूल देखे जाए एक-एक स्कूल में तीन-तीन कमरे और चार-चार स्कूल एक स्कूल में चल रहे हैं सरकार को अपने स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज करने का अधिकार है लेकिन निजी स्कूल संचालक अपने ही वार्ड में दूसरी गली में अपना स्कूल नहीं चला सकता देश का संविधान सभी के लिए बराबर होता है चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी लेकिन कानून तो एक होना चाहिए जबकि स्कूल अधिकतर किराए की बिल्डिंगों में चल रहे हैं शासनादेश के अनुसार किरायानामा मात्र 10 वर्षों के लिए होता है 10 वर्षों के बाद बिल्डिंग अन्य क्षेत्र में ट्रांसफर करनी पड़ती है इस प्रकार सरकारी स्कूल हो चाहे निजी स्कूल कानून एक होना चाहिए इस अवसर पर मुजाहिद नदीम अजय सिंह रावत संजय शर्मा ऋषिपाल सैनी पंकज गर्ग हंस कुमार जितेंद्र गोरियान एडवोकेट जोरा सिंह वजाहत अली खान अमर राणा सरफराज खान डॉक्टर जावेद नूर बस्ती शान इलाही समसी वसीम अहमद मंसूर अली अनिल सचदेवा धीरज सिंह संजय सिंह आदि उपस्थित रहे
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