हिंदी के साथ साथ सरकारी दफ्तरों में उर्दू भाषा का भी हो काम काज- जमशेद अली
उर्दू हम सब की भाषा, युवा पीढ़ी को जागरूक करने की ज़रूरत-सिद्दीकी
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर-उर्दू भाषा संवेदनशील होने के साथ-साथ मीठी जुबान की भाषा है। किसी भी संस्कृति के विकास के साथ भाषा का भी विकास होता है। हिंदी के साथ उर्दू भाषा भी हम सब की भाषा है। आज की नई पीढ़ी को हिंदी, अंग्रेज़ी के साथ उर्दू भाषा के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है।
उक्त विचार उर्दू तालिमी बोर्ड शाखा सहारनपुर कैम्प कार्यालय छत्ता जम्बू दास में आयोजित बैठक में उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु विचार विमर्श किया गया। इस दौरान जमशेद अली संयोजक उर्दू अनुवादक राज्य कर्मचारी संघ नें कहा की पूरे प्रदेश के सरकारी कार्यालयों व कार्यों में हिंदी के साथ उर्दू भाषा के लेखन और बोलचाल को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार से आह्वान करते है, हिंदी और उर्दू दोनों में अन्योनाश्रय संबंध है। सरकारी स्तर पर गजट अथवा किसी पुस्तिका का प्रकाशन भी हिंदी के साथ-साथ उर्दू भाषा में भी हो। उर्दू का प्रयोग कार्यालय का नाम,नेमप्लेट, संकेत पट्ट, पदाधिकारी का नाम और पदनाम, सरकारी योजना का बैनर, उद्घाटन शिलान्यास का शिलापट्ट में भी किया जाने का किया आह्वान। उर्दू भाषा के लेखन में किसी भी प्रकार की कठिनाई होती है तो तुरंत ही कोई भी अधिकारी या कर्मी सरकारी दफ़्तरों में कार्यरत उर्दू अनुवादक से हिंदी भाषा का अनुवाद उर्दूभाषा में सहायता प्राप्त कर सकता है। दानिश सिद्दीकी महासचिव उर्दू तालिमी बोर्ड नें कहा की उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा संवेदनशील होने के साथ-साथ मीठी जुबान की भाषा है। किसी भी संस्कृति के विकास के साथ भाषा का भी विकास होता है। उर्दू भाषा हम सब की भाषा है। आज की नई पीढ़ी को उर्दू भाषा के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। उर्दू की जीवंतता से समाज व संस्कृति के सर्वांगीण विकास में पुरजोर सहायता मिलती है। सेमिनार में दहेज एक सामाजिक बुराई, बचपन की शादी एक गलत रिवाज, शराबबंदी बेहतर समाज जरूरी, जल जीवन हरियाली, तालीम की अहमियत आदि विभिन्न विषयों को रखा गया था। हिंदी के साथ उर्दू भाषा का भी युवा पीढ़ी को ज्ञान हो। इस दौरान अरशद रहमानी, मौ०अब्बास, रय्यान सिद्दीकी, राफे सिद्दीकी, आदिल अक़ील, मौ० फ़ाज़िल,सलीम अहमद आदि नें विचार व्यक्त किये।
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