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महापौर डॉ. अजय करेंगे राष्ट्रीय सम्मेलन में उ.प्र के महापौरों का प्रतिनिधित्व

महापौर डॉ. अजय करेंगे राष्ट्रीय सम्मेलन में उ.प्र के महापौरों का प्रतिनिधित्व

नई दिल्ली के भारत मण्डपम में 26 नवंबर को होगा महापौरों/अध्यक्षों का राष्ट्रीय सम्मेलन

सहारनपुर- नई दिल्ली में सोलहवें वित्त आयोग द्वारा ‘‘भारत में शहरी स्थानीय सरकारों को मजबूत बनाने’’ सम्बंधी विषय पर महापौरों और अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन में सहारनपुर के मेयर डॉ. अजय कुमार उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे। सम्मेलन में ‘‘राजकोषीय स्थिरता और दक्षता‘‘ तथा ‘‘शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही’’ बिन्दुओं पर चर्चा की जायेगी। उक्त राष्ट्रीय सम्मेलन नई दिल्ली के भारत मण्डपम में 26 नवंबर में आयोजित होगा।

नगर विकास विभाग के विशेष सचिव अरुण प्रकाश द्वारा महापौर व नगरायुक्त को भेजे गए पत्र में इसकी जानकारी दी गयी है। पत्र के मुताबिक उत्तर प्रदेश से एक अकेले सहारनपुर के महापौर डॉ. अजय कुमार, एक अकेली नगरपालिका परिषद पीलीभीत की चेयरमैन डॉ. आस्था अग्रवाल तथा एक मात्र नगर पंचायत कुलपहाड़ महोबा के अध्यक्ष वैभव अरजरिया को आमंत्रित किया गया है।महापौर डॉ. अजय कुमार ने बताया कि सोलहवें वित्त आयोग भारत सरकार के संयुक्त सचिव राहुल जैन द्वारा उक्त सम्मेलन के सम्बंध में भेजे गए पत्र के मुताबिक राजकोषीय स्थिरता और दक्षता विषय में सभी नागरिकों के लिए जीवन की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सेवाएं और बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए शहर के पास उपलब्ध धन के विभिन्न स्रोत क्या हैं, शहर की विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वित्त आयोग और अन्य अनुदानों पर निर्भरता की सीमा क्या है? शहर ने एफसी अनुदान से किस तरह के खर्च/परियोजनाएँ शुरू की हैं, स्वयं के स्रोत से राजस्व संग्रह ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए क्या पहल की गई है और शहरों की वित्तीय स्थिरता पर इसका क्या प्रभाव पड़ा है? आदि बिंदु पर चर्चा होगी। इसके अलावा पलायन और गांव की सीमाओं को शहर की सीमा में शामिल करने का क्या प्रभाव है ? इसके कारण वित्तीय प्रबंधन और सेवा वितरण से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं। परियोजनाओं के निर्णय और उनके क्रियान्वयन में नगर निगम आयुक्त/निर्वाचित प्रतिनिधि क्या भूमिका निभाते हैं? परियोजना के चयन, मंजूरी, स्वीकृति, क्रियान्वयन और निगरानी में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, आदि बिुदुओं पर चर्चा की जायेगी। इसके अतिरिक्त नगर निगम की वित्तीय मजबूती के क्षेत्रों में पांच प्रमुख सुधार भी मांगे जायेंगे। जिन्हें आवश्यकतानुसार वित्त आयोग लागू कर सके।शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही विषय में राज्य सरकारों को निधियों, कार्यों और पदाधिकारियों के हस्तांतरण की स्थिति क्या है, तेजी से हो रहे शहरी विकास को देखते हुए शहरों की योजना को और अधिक कुशल कैसे बनाया जा सकता है, शहरों की आपदा सहनशीलता को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है, विशेषकर शहरी आपदाओं, जैसे शहरी बाढ़ और शहरों का ऊष्मा द्वीप बन जाना आदि के संदर्भ में, क्या पार्षदों और महापौरों को बजट, अनुदान, परियोजनाओं, योजना/अनुदान दिशा-निर्देशों, निधि उपयोग की स्थिति आदि के बारे में जानकारी आसानी से उपलब्ध है, जिससे आपको निर्णय लेने में मदद मिल सके? शहरों पर डेटा की उपलब्धता में सुधार के लिए क्या किया जा सकता है?

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