इकबाल की शायरी में देशभक्ति, दूरदर्शिता और जिंदगी के विभिन्न रंग मिलते हैं- सफिया
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर-उर्दू डे इकबाल डे के रूप में और मौलाना आजाद डे शिक्षा दिवस के रूप में लिटिल स्कॉलर स्कूल में मनाया गया
इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि ब्राउन वुड स्कूल की डायरेक्टर सफिया सुबूही ने कहा कि डॉक्टर मोहम्मद इकबाल एक महान शायर, चिंतक और दार्शनिक की हैसियत से मशहूर हैं ।दार्शनिक फिक्र में समोया हुआ लहजा इकबाल के अलावा किसी दूसरे शायर को नसीब नहीं हुआ उनकी शायरी का कैनवस बहुत बड़ा है इकबाल की शायरी में देशभक्ति, दूरदर्शिता और जिंदगी के विभिन्न रंग मिलते हैं उनकी शायरी के उद्देश्यों में व्यक्ति को एक अच्छा इंसान बनने का संदेश दिया गया है हमे प्रथम शिक्षा मंत्री आज़ाद कोभी याद रखना۔चाहिए जो चाहते थे कि देश का विभाजन न हो। डॉक्टर कुद सिया अंजुम ने कहा कि इकबाल पैगाम खुदी है यानी इंसान अपने आप को पहचाने । कभी दरिया से मिसले मौज उभर कर ,कभी दरिया के सीने में उतरकर,कभी दरिया के साहिल से उतर कर ,मकाम अपनी खुदी का फाश तर कर
इकबाल ने गायत्री मंत्र को नजम किया है जिसका उनवान है आफताब । उन्हें दूसरे धर्म की जो बातें पसंद आई इन्हें भी इन्होंने अपनी शायरी में जगाह दी राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मौलाना आजाद को समर्पित है जो 11नवंबर को मनाया जाता है we चाहते थे कि भारत का हर बच्चा शिक्षा हासिल करे । स्कूल प्रिंसिपल ज़रीन ने इकबाल का प्रसिद्ध शेर छात्रों के लिए पढ़ा ।खुदी को कर बुलंद इतना ,के हर तकदीर से पहले,खुदा बंदे से खुद पूछे,बता तेरी रज़ा क्या है ।कार्यक्रम का दूसरा भाग देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद को समर्पित किया गया।इस अवसर पर बोलते हुए अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर जमील मानवी ने कहा कि 11 नवंबर का दिन महान नेता की स्मृति में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रुप में मनाया जाता है।आजाद एक स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पाकिस्तान बनने के घोर विरोधी थे। वे हिंदू मुस्लिम एकता पर बल देते थे।गांधी से प्रेरित होकर सविनय अवज्ञा आंदोलन असहयोग आन्दोलन और दांडी मार्च में हिस्सा लिया । विशिष्ट अतिथि डॉक्टर शाहिद जुबेरी ने कहा कि आजाद एक पत्रकार, लेखक ,कवि , शिक्षा विद होने के साथ साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। खलीक अहमद व यास्मीन ने कहा कि स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री होने के हैसियत से आज़ाद ने देश की शिक्षा नीति का स्वरूप तैयार किया।उन्होंने मेडिकल कॉलेज आई आई टी और यूजीसी जैसे आयोग की स्थापना में महत्व पूर्ण भूमिका निभाई।मरणोपरांत 1992 में भारत सरकार द्वारा देश के सर्वोच्च उपाधि भारत रत्न से विभूषित किया गया। संचालन करते हुए नुसरत परवीन ने कहा कि आज का दिन। दो महान व्यक्तित्व को याद करने का दिन है जिनसे प्रेरणा लेकर छात्र छात्राएं अपने व्यक्तिव का विकास कर सकते हैं।इस अवसर पर फरजाना शेख़ यूसरा यास्मीन सिद्दीकी, शाहीन वा बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं वा स्टाफ मौजूद रहें।
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