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सर सैयद आधुनिक शिक्षा के संस्थापक और एक ऐतिहासिक शख्सियत थे-डॉ मोहम्मद लुकमान खान

सर सैयद आधुनिक शिक्षा के संस्थापक और एक ऐतिहासिक शख्सियत थे-डॉ मौ0 लुकमान 

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

सहारनपुर -अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्युमिनियम एसोसिएशन द्वारा सर सैयद दिवस के अवसर पर एक सेमिनार का आयोजन अंबाला रोड स्थित एक सभागर में आयोजित किया गया

मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए वाइस चांसलर लिंगायस युनिवर्सिटी डॉ मोहम्मद लुकमान खान ने कहा कि सर सैयद आधुनिक शिक्षा के संस्थापक और एक ऐतिहासिक शख्सियत थे और जो मुस्लिम समाज में जड़ बंदी थी उसको दूर किया तालीमी मिशन को आगे बढ़ाने के लिए अलीगढ आन्दोलन की शुरआत की वो एक चिंतक विचारक लेखक पत्रकार और दूरदर्शी व्यक्तिव के मालिक थे।विशिष्ट अतिथि लखनऊ के फिशरीज के डायरेक्टर नूर सबूर रहमानी ने कहा कि  मुसलमानों में शिक्षा बेरोजगारी और अंधकार दूर करने के लिए सर सैयद ने एक अभियान शुरू किया आधुनिक शिक्षा का अभियान। यह दिन एक महान व्यक्ति उसके विज़न उसके लगन और उसकी कुरबानियो और खिदमत को समझने  का दिन है। अलीगढ से आए विशिष्ठ अतिथि डॉक्टर ओबैद इकबाल आसिम ने कहा कि  भारत में सुधारवादी आंदोलन का एक हिस्सा सर सैयद आंदोलन या अलीगढ़ आंदोलन है । जो शमा उन्होंने रोशन की उस शमा को मशाल बनने की ज़रूरत है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रोफेसर प्रो माजिद जमील ने कहा कि नए शक्षिक संस्थाएं खोलना सर सैयद को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इण्डिया इस्लामी कल्चर सेंटर दिल्ली से आए सिकंदर हयात ने कहा कि  की लंदन जाकर सर सैयद ने वहां की तहजीब और तालीम का जायज़ा लेकर यहां भारत में एक विश्वविद्यालय की स्थापना की।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर  कुद सिया अंजुम ने  कहा कि  एक महान व्यक्तित्व की पहचान यह है कि वह ऐसी  धरोहर छोड़ता है जो वक्त के साथ खत्म नहीं होती बल्कि इसके  इस पर भविष्य की तामीर होती हैं सर सैयद ने यही विजन समाज को दिया।

यूनिवर्सिटी में सभी धर्मों के छात्र छात्राएं आरंभ से ही पढ़ते आ रहे हैं। हमे अधिक से अधिक पिछड़े इलाकों में  स्कूल खोलने चाहिए।कार्यक्रम का संचालन करते हुए सुबह ही इफ्तेखार   ने कहा कि  सर सैयद ने मुसलमान को रूढ़िवादिता अंधविश्वास से निकलना का भरसक प्रयास किया और मुश्किल हालात में साइंटिफिक सोसायटी की स्थापना की और साइंटिफिक सोच पैदा की और आधुनिक शिक्षा के लिए मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़ जैसी  संस्था की बुनियाद रखी।सांसद इमरान मसूद ने सर सैयद के जीवन का  मूल्यांकन करते हुए कहा के 1857 के नतीजे में मुसलमान में पैदा होने वाली जड़ता और बेहिसी से बाहर निकालने के लिए   संघर्ष किया और शिक्षा के हथियार से मुसलमान को आगे बढ़ने का हौसला दिया । पूर्व सांसद हाजी फजलुर रहमान  ने कहा कि सर सैयद ने अपने रिसाले तह ज़ी बुल अखलाक के जरिए मुसलमान में शिक्षा और सामाजिक  जागरूकता पैदा की इस अवसर पर कामरान, अनस गुलनाज खलीक अहमद सलीम उर रहमान निम्रा शाजिया मसूद सायमा मसूद हम्ज़ा मसूद आसिफ इकबाल और बड़ी संख्या में अलीगमौजूद रहे। अंत में अलीगढ़ यूनिवर्सिटी का तराना यह मेरा चमन यह मेरा चमन सामूहिक रूप से गाया गया।

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