सतगुरु स्वामी ज्ञान भिक्षुकदास जी महाराज की जयंती पर विशेष
रिपोर्ट एसडी गौतम
आदरणीय परम श्रद्धेय स्वामी ज्ञान भिक्षुकदास जी महाराज का जन्म मेरठ जिले के गांव अख्तियारपुर में 27 अक्टूबर 1852 को मां सांवली देवी और पिता पांचादास की गोद से हुआ था। 63 वर्ष की उम्र में आदरणीय गुरुजी आजाद हिंद फौज की स्थापना से पूर्व राजा महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा 29 अक्टूबर 1915 को आजाद हिंद सेना में स्वतंत्रता सेनानी भी रहे। संत शिरोमणी सतगुरु रविदास जी महाराज के आध्यात्मिक मार्ग की ओर अधिक झुकाव होने के कारण स्वामी जी ने सन 1916 में कस्बा ऊन जिला शामली में सतगुरु रविदास आश्रम की नींव रख गुरुजी की शिक्षा ओर दीक्षा के साथ शिक्षा का प्रचार करते हुए प्राइमरी पाठशाला का निर्माण कर खेड़ी करमू जिला शामली, भभीसा कांधला, कपूरगढ़ कस्बा बुढ़ाना, थानाभवन जिला शामली, बिजरौल बड़ौत व भैंसवाल जिला शामली आदि जगह पर गुरुघरो का निर्माण कर गुरुजी की दीक्षा और शिक्षा को आगे बढ़ाते हुए शिक्षा को बढ़ावा दिया और दिव्य ज्ञान से पूर्ण सन 1959 में आदरणीय स्वामी ज्ञान भिक्षुकदास जी द्वारा अपने परम शिष्य श्री हुकमचंद जी (संत समनदास जी) को गुरु रविदास गद्दी स्थापित करने का आदेश दिया, जिसपर श्री हुकमचंद जी (संत समनदास जी) ने दान स्वरूप मिली जमीन पर 1959 में कस्बा ऊन जिला शामली में गुरु रविदास गद्दी की स्थापना की जो आगे चलकर गुरु गद्दी ऊन के नाम से प्रसिद्ध हुई। सन 1959 मे ब्रह्मज्ञान से परिपूर्ण दिव्य दृष्टि से आप द्वारा चमत्कारिक अंधी लड़की की आंखों में रोशनी लौटाने तथा निसंतान दंपति को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्रदान करना तथा असाध्य रोगी को अपनी दिव्य दृष्टि से ठीक करना अनेकों चमत्कार रहे है। एक वर्ष बाद स्वयं ब्रह्मलीन होने की तिथि घोषित कर अपने शिष्य श्री हुकमचंद जी (संत समनदास जी) को समाधि स्थल पर संत समागम व मेले आयोजित कराने तथा शाकाहारी जीवन जीने, नशामुक्ति मार्ग का अनुसरण करने, स्वरोजगार को बढ़ावा देने, स्कूली शिक्षा के साथ साथ आध्यात्मिक मार्ग को प्रशस्त करने और अंधविश्वास से दूर होकर सतमार्ग का अनुसरण करने के आदेश दिए। तत्पश्चात ज्येष्ठ की पूर्णिमा से एक दिन पूर्व चौदस को अपने कथनानुसार कस्बा ऊन जिला शामली में आप ब्रह्मलीन हो गए। ब्रह्मलीन होने बाद आपके वचनों पर अमल करते हुए आपके परम शिष्य श्री हुकमचंद जी (संत समनदास जी) द्वारा आपकी याद में प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ की चौदस का सत्संग व पूर्णिमा पर भंडारे का आयोजन तथा मेले आयोजित होने लगे जिसमें लाखों की तादाद में श्रद्धालुगण आशीर्वाद प्राप्त करने आने लगे। गुरु गद्दी पर आने वाले समस्त अनुयायियों की पूर्ण होती मनोकामना को देखते हुए गुरु गद्दी की ख्याति देशभर में तेजी से फैल गई और लाखों की तादाद में श्रद्धालुगण आपके ब्रह्मलीन होने के बाद आपके शिष्य श्री हुक्मचंद जी (सतगुरु समनदास जी महाराज) के साथ जुड़ने लगे। सन 2002 में अखिल भारतीय संत शिरोमणि सतगुरु रविदास मिशन गुरु गद्दी ऊन जिला शामली की स्थापना आपके परम शिष्य जिनको आपने श्री हुकुमचंद जी से संत समनदास जी नाम बख्शीश किया उनके द्वारा की गई। मिशन के संस्थापक, संचालक व अध्यक्ष सतगुरु स्वामी समनदास जी महाराज है और आपकी दी गई शिक्षा और उपदेशों पर चलकर समाज का उत्थान किया जा रहा है। सतगुरु स्वामी समनदास जी महाराज के पावन सान्निध्य ओर आशीर्वाद से आज देशभर में सैकड़ो से अधिक आश्रम संचालित है जहां पर मासिक व वार्षिक संत समागम का धूमधाम से आयोजन किया जाता है और सतगुरु समनदास जी महाराज द्वारा हजारों की संख्या में साधुओं को संन्यास की दीक्षा देकर समाजोत्थान के लिए तैयार किया गया जिनसे आज लाखों की संगत का मार्गदर्शन किया जा रहा है। आपके परम शिष्य सतगुरु स्वामी समनदास जी महाराज के 10 अगस्त 2019 को ब्रह्मलीन होने पर शुकतीर्थ शुक्रताल जिला मुजफ्फरनगर में लाखों की संगत द्वारा नम आंखों से समाधि दी गई। हर वर्ष गुरु गद्दी उन शामली में महान संत समागम का आयोजन किया जाता है, जिसमें इस बार भी श्रद्धेय स्वामी ज्ञान भिक्षुकदास जी महाराज की 172 वी जयंती पर 27 अक्टूबर 2024 को कस्बा ऊन में भव्य कार्यक्रम आयोजित होना तय है जिसमें कार्यक्रम की संपूर्ण देखरेख गुरु गद्दी ऊन जिला शामली के वर्तमान महंत आचार्य कंवरपाल ब्रह्मचारी जी महाराज कर रहे हैं जोकि उच्च शिक्षित और एक अच्छे विद्वान के साथ साथ अच्छे लेखक समीक्षक, सौम्य स्वभाव तथा कुशल व्यवहार के धनी है। सभी संतो के चरणों में कोटि कोटि बंदगी।
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