देशभर से आए शायरों ने बांधा समां।
अंजुमन गुलिस्तान-ए-उर्दू अदब के तत्वाधान में आयोजित हुआ मुशायरा।
रिपोर्ट- फैसल मलिक
देवबंद से आए हुए प्रख्यात शायर नदीम शाद ने कुछ यूं अंदाज-ए-बयान किया..मुश्किल था पर जादू करना सीख गए,अब हम खुद पर काबू करना सीख गए,आपको तो तहजीब मिली थी विरसे में,आप कहां से तू-तू करना सीख गए।दूसरा शेर पढ़ा..हर खित्ते में रहने में आसानी हो,पानी बन जो बहने में आसानी हो,उसको इज़्ज़त कैसे दिलवा सकते हो,जिसको जिल्लत सहने में आसानी हो।सम्भल से आए हुए इंतखाब संभली ने अपनी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया इंतखाब ने पढ़ा.. तंगदस्ती में भी बच्चों को पाला हमने,बेईमानी का नहीं खाया निवाला हमने,बेटियों से ही चमक रहा घर का आंगन,गोद लेकर कोई बेटा नहीं पाला हमने।स्योहारा से आए हुए मौज स्योहारवी ने कहा..कोई मजबूरी तो है उस आदमी के सामने,हाथ फैलाने लगा जो हर किसी के सामने,यह बता नादान तो किस बात पर है मग़रूर,मौत मुंह खोले खड़ी है जिंदगी के सामने।
जुनैद अख्तर ने कहाअदावत का यहां दस्तूर क्यों है हम नहीं समझे, ज़माना नफरतों में चूर क्यों है हम नहीं समझे,सभी है खबर मोहब्बत हर मसले का हल है,मोहब्बत से यह दुनियां दूर क्यों है हम नहीं समझे।एडीएम संतोष कुमार सिंह ने आशिकाना मिज़ाज में पढ़ा, अच्छा लगता है मुझको गुरूर तेरा हो,सज़ा मिले मुझको कुसूर तेरा है,मेरी ज़िद को एक बार दिल्लगी कह दो, नज़र किसी की भी हो सुरूर तेरा हो।नवाज़िश बुटराड़वी ने पढ़ा..खुद को बर्बाद कू-ब-कू करके,क्या मिला उसकी आरज़ू करके,भूल बैठा कमी वो औरों की,आईना अपने रू-ब-रू करके।प्रदीप मायूस ने कहा,न तख्तों ताज न इनाम लेके जीता है,तेरा फकीर तेरा नाम लेके जीता है।आबिद वफ़ा सहारनपुरी ने पढ़ा साए की जुस्तजू में मरे जा रहे हैं लोग,किस हाल में है बूढ़ा शज़र किस से पूछिए।देवबंद के उभरते हुए शायर ने नूर देवबंदी ने कहा..खाक-ए-वतन अज़ीज़ है हमको इसलिए,मर कर भी दफ्न होंगे इसी की ज़मीन में,फैसल मेरठी ने कहा.. हर तरफ फ़ज़ाओ में फूल से बिखर जाएं,तो जो मुस्कुरा दे एक बार थोड़ा सा।अज़रा संभली ने कहा..मेरा जन्नत तवाफ करती है,मां के पैरों को जब दबाती हूँ।मेहनाज़ स्योहारवी ने कहा..आसमान थर्राएगा और चीख उठेगी ज़मीन,जब किसी मजलूम को ना हक सताया जाएगा।बिहार से आए हुए शहर जीशान भागलपुरी यूं अपनी मौजूदगी दर्ज कराई..कलम वालों कलम से इस वतन की शान लिख देना,हमारी एकता की है अलग पहचान लिख देना,अगर पूछे कोई धरती की जन्नत है कहां लोगो,तो कागज पर बड़े अक्षर में हिंदुस्तान लिख देना।सभी शायरों ने अपनी शायरी से मुशायरे में खूब वाह वाही बटोरी। मुशायरा शकील अहमद की किताब शाखे गुल का भी आगाज किया गया। कनवीनर रहे फिरोज़ खान, नायब कन्वीनर डा0 सलीम फारूकी रहे,अब्दुर्रहमान,अदीब,मास्टर शकील अहमद,सलीम जावेद डुडुखेडा,नफीस अहमदव अंजुमन गुलिस्तान-ए-उर्दू अदब के सभी सदस्य का विशेष सहयोग रहा।
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