हिसाब जो भी था जिसका वो साफ कर आया ,मैं जब उठा तो सभी को माफ कर आया.......हाशिम फिरोजाबादी
‘दिया जला के सभी बमोदर में रखते है .......अबरार काशिफ
आल इंडिया मुशायरे ने श्रोताओं की खूब वाहवाही बटोरी
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
मेला गुघाल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में आयोजित आल इंडिया मुशायरे का शुभारंभ इस्लामिया इन्टर कालेज के मैदान पर पूर्व मंत्री काजी शायान मसूद, वरिष्ठ समाजसेवी मूसा सिद्दीकी, डा-खुर्शीद आलम व वरिष्ठ पत्रकार अबूबकर शिब्ली ने फीता काटकर किया, जबकि शमा रोशन पूर्व सांसद हाजी फजलुर्रहमान, वरिष्ठ पत्रकार जावेद साबरी, आप नेता योगेश दहिया, पार्षद दल नेता टिंकू अरोडा, पूर्व अध्यक्ष फैजानुर्रहमान ने की। मुशायरे के सयोजक फजलुर्रहमान ने पत्रकार डा-शाहिद जुबैरी, शब्बीर शाद, जावेद साबरी, सुहोल अहकर, पार्षद टिंकू अरोडा, नदीम अंसारी, अब्दुल खालिक, फहाद सलीम, गुलशेर, इमरान सैफी, अहमद मलिक, मुकेश गक्खड, ज्योति अग्रवाल, भूरा मलिक, राजेंद्र सिंह कोहली, डा-अहतेशाम, परवेज मलिक, नितिन जाटव, मुगीस अहमद व अदनान सिद्दीकी को शाल ओढाकर सम्मानित किया। उर्दू अदब की शान निजामत कर रहे अबरार काशिफ ने मुशायरे में आये हजारों श्रोताओं को अपनी शायरी से लबरेज करते हुए कहा कि ‘दिया जला के सभी बमोदर में रखते है और एक हम है उसे रहगुजर में रखते है, समन्दरों को भी मालूम है हमारा मिजाज कि हम तो पहला कदम ही भंवर में रखते है’ इसके बाद उन्होंने अपने कई गीत सुनाये। उर्दू अदब के सितारे डॉक्टर नवाज देवबंदी ने पढा ‘बेहयाली में भी है ख्याल उसका, मेरा क्या है ये ही कमाल उसका, ये जो सब मेरा हाल पूछते है पूछना चाहते है हाल उसका’ ‘जहालत पर जब तुम्हारी कोई तनकीद करता हैं, तुम्हे गुस्सा तो आता हैं तुम्हें गैरेत नही आती! जिसको सब है कह रहे थे उसको था कहने लगे, जिन्दगी और मौत का फासला बस इतना सा हैं’। गजलों के बादशाह ताहिर फराज ने अपनी शायरी कुछ इस अंदाज में पेश कि तू दुनिया है तमाशा कर रही है उधर जा ना इधर क्या कर रही है ये लडकी नाम है जिसका मौहब्बत ये दुनिया से अब परदा कर रही है। फरमाईश पर उन्होंने अपने एक ओर गीत बहुत खूबसूरत है तू गाकर सुनाया।
एक ओर जज्बाती शायर हाशिम फिरोजाबादी ने सुनाया कि हिसाब जो भी था जिसका वो साफ कर आया मैं जब उठा तो सभी को माफ कर आया अमीर लोग तो मौका तलाश करते रहे गरीब काबे का लेकिन तवाफ कर आया। सलीम सिद्दीकी ने सुनाया कि सब किताबे है गलत सारा अदब झूठा है एक झूठे को ये लगता है कि सब झूठे है। मंजर भोपाली ने कुछ यूं सुनाया कि ताकते तुम्हारी है और खुदा हमारा है अक्श पे ना इतराओ आइना हमारा है। एक ओर शेर कहा कि वह रफ्रतार के लम्हों में खता कर पहुंचे तुम गये चांद तलक हम तो खुदा तक पहुंचे। शायर इस्माइल नजर ने बयां किया ‘दर्द मेरा तू नहीं समझा तो समझेगा कौन, मेरे हक में तू नहीं बोला तो बोलेगा कौन, आप क्यों खंजर छुपाकर आस्तिन में लाये है आप तो मेरे है मेरे आपको रोकेगा कौन’। दुनिया में सहारनपुर का नाम रोशन कर रहे शायर बिलाल सहारनपुरी के कलाम ‘मिलता है उन कमीनों का सजदा यजीद से, पाला बदल रहे है जो तादाद देखकर और सच पर परदा डालकर झूठी कहानी बन गये, नीम के पत्ते भी अब तो जाफरानी बन गये, इस तरह बदला है कुछ लोगों ने सजरे को यहां, खान जोडा नाम में और खानदानी बन गये’ पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजाई।
इसके अलावा हामिद भूसालवी, निगहत अमरोही, सबा बलरामपुरी, हर्षित मिश्रा, मदन मोहन दानिश, अफजल मंगलौरी, सज्जाद झंझट, शरीफ भारती, महमूद असर व काजी सूफियान ने भी अपने कलाम के जरिये श्रोताओं की दाद बटोरी। मुशायरे की अध्यक्षता प्रदेश के पूर्व मंत्री काजी शायान मसूद तथा संचालन अबरार काशिफ व इरफान सागर ने किया।सुबह भोर होने तक मुशायरा चलता रहा। जब अजान की आवाज आई तो मशहूर शायर ताहिर फरहाज ने मुशायरे का अहतमाम किया। आज का आल इंडिया मुशायरा आज के इतिहास में एक नया अध्याय लिख गया। पहली बार बीस हजार से अधिक लोगों ने मुशायरे का लुत्फ उठाया और उन्हें एक से बढकर एक कलाम सुनने को मिले। मुशायरा संयोजक फजलुर्रहमान व सह संयोजक अबूबकर शिब्ली की अथक मेहतन रंग लाई। जिसकी बदौलत मुशायरे के पुराने सब रिकॉर्ड टूट गये।
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