Ticker

6/recent/ticker-posts

मोहब्बत कम हो रही है नफरत बढ़ रही है आज सर सय्यद के नज़रिये से सोचने की ज़रूरत है - प्रोफेसर जलाल उमर

मोहब्बत कम हो रही है नफरत बढ़ रही है आज सर सय्यद के नज़रिये से सोचने की ज़रूरत है - प्रोफेसर जलाल उमर

सर सय्यद डे पर हुआ मुशायरा का आयोजन, शायरों ने अपने कलामो से ख़ूब वाहवाही बटोरी

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

सहारनपुर-आज के परिवेश को सुधारने के लिए सर सय्यद अहमद खान की नज़र से देखने की ज़रूरत है। आज जो प्यार, मोहब्बत लोगो मे कम हो रही है और नफरत बढ़ रही इसे सुधारने के लिए सर सय्यद की नज़र से देखने और सोचने की ज़रूरत है। सर सय्यद किसी एक समुदाय के नहीँ सभी समुदाय के हिमायती थे। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी जिसका जीता जागता उदाहरण है।

उक्त विचार पुल कमबोहान स्तिथ अल अमीन ऐंग्लो अराबीक स्कूल में सर सय्यद अहमद ख़ान के जन्मदिवस के अवसर पर मुशायरा का आयोजन किया गया। जिसमे विभिन्न शहरो से आए शायरों ने अपनी शायरी का प्रदर्शन किया। मुशायरे की अध्यक्षता प्रोफेसर जलाल उमर पूर्व प्रधानाचार्य इस्लामिया ब्याज़ इंटर कॉलेज ने वक्ताओं को सम्बोधित करते हुए सर सय्यद अहमद ख़ान के जीवन व उनके कार्यों की सराहना की मुशायरे का उद्धघाटन अहमद मलिक पार्षद व मोहम्मद अली एडवोकेट ने किया। और शमा रोशन सईद सिद्दीकी पार्षद ने करते हुए वक्ताओं से कहा की अपनी नई नस्ल में इल्म और इंसानियत की शमा जलाने का आह्वान किया। अहमद मलिक पार्षद ने कहा की  सर सय्यद अहमद ख़ान एक व्यक्ति का नाम नहीँ बल्कि एक मिशन का नाम था, शिक्षा के क्षेत्र में जिनकी अहम भूमिका रही।दानिश सिद्दीकी महासचिव उर्दू तालिमी बोर्ड ने कहा की उर्दू ज़बान व अदब पर सर सय्य्द ख़ान का बहुत बड़ा अहसान है उन्होंने शिक्षा, समाज, कला, साहित्य, संस्कृति, इतिहास और पुरातत्व के उन्नयन के लिए जो कार्य किए,व एशियाई महाद्वीप में मील का पत्थर साबित हुए हैं।मुशायरे में डॉ आबिद हसन वफ़ा सहारनपुरी ने अपने कलाम कुछ यूँ पढ़ा, इल्म का आफताब चमकाया,इल्म का चांदना है सर सय्यद, कौम-ए -मिल्लत के पुरे भारत में,आज भी रहनुमा है सर सय्यद,साहिल माधोपुरी, ने पढ़ा, तू बता कब ना साथ निभाया मैंने, तूने मुश्किल में कभी साथ दिया हो तो बता। महमूद असर के इस शेर को बहुत सराहा गया, तुम्हारे ज़हनों में उर्दू का इंतेखाब नही,यही सबब है जो लहज़े में जी जनाब नही,नवाज़िश ख़ान ने कुछ यूँ पढ़ा, खाक़ से उठके बुलंदी पे सितारा जाएं, उसको सजदे में अपने दिल से पुकारा जाएं...मुशायरे का संचालन कर रहे हसन काशफी ने अपना ये कलाम सुना कर लोगो से ख़ूब वाहवाही बटोरी, साथी तो बहुत दूर है साया नहीँ होता, मुश्किल में कोई अपना भी अपना नहीँ होता। मुशायरे में विभिन्न शहरो से आए शायर नईम अख्तर देवबन्दी,खुर्रम सुल्तान, असलम मोहसिन,काशिफ रज़ा,बरकत उल्ला शाद, रहमान रज़ा,बशारत शेरवानी, इक़बाल अहमद मंसूरी,बरकत होलट आदि शायरों ने अपनी शायरी से श्राताओं को देर रात्रि तक जोड़े रखा। सलमान थानवी प्रबंधक अल अमीन ऐंग्लो अराबीक स्कूल व मुशयारा संयोजक ने सभी शायरों, अतिथियों का स्वागत किया।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

मा0 प्रधानमंत्री जी द्वारा सरसावा एयरपोर्ट का वाराणसी से किया गया वर्चुअली लोकार्पण