श्री राम ने किया महाबली कुंभकरण का वध
कुंभकरण बने राकेश शर्मा निंद्रा को त्याग देते हैं और उसके बाद वह रावण आशु सहगल के पास जाते हैं कुंभकरण अपने भाई रावण को समझाते हुऎ कहते हैं की वह पराई नारी को सम्मान के साथ श्री राम को लौटा दे अन्यथा पूरे राक्षस कुल का अंत हो जाएगा। इस पर रावण कुंभकरण पर क्रोधीत हो जाता है। श्री राम खुद रणभूमि में कुंभकरण से युद्ध करने पहुंच जाते हैं दोनों में चले भयंकर युद्ध के बाद श्री राम महाबली कुंभकरण का वध कर देते हैं। रामा दल में खुशी की लहर दौड़ जाति है। श्री राम के जयकारे गुंज उठे। कुंभकरण को रावण की सेना द्वारा नींद से जगाने का दृश्य बहुत ही मनोहारी रहा ।कुंभकरण के संवादों को पसंद किया गया। श्री राम उद्धव कोदंड, लक्ष्मण कोषागृ नैब,विभीषण अनुज जैन, मेघनाथ विनय वत्स, हनुमान मनवीर सिंह ने शानदार अभिनय किया। राम लीला में मुख्य रूप से प्रधान चौधरी जोगेंद्र कुमार, विक्रांत सैनी ,सरदार गुरमीतसिंह ,गगन भंडारी ,गगन सैनी ,विनोद खुराना, चंडी प्रसाद ब्रिजमोहन वत्स, सचिन घई ,नवदीप आनंद, अशीष खुराना, विकास शर्मा, राजन आदि उपस्थित रहे। लीला का संचालन रमेश चंद्र छब्बीला व राकेश वत्स ने किया।
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