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यूनिसेफ के भारत में 75 वर्ष एवं संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते के 35 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष मंडलायुक्त की अध्यक्षता में आयोजित हुई संगोष्ठी

यूनिसेफ के भारत में 75 वर्ष एवं संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते के 35 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष मंडलायुक्त की अध्यक्षता में आयोजित हुई संगोष्ठी 

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

सहारनपुर-मंडलायुक्त डा0 हृषिकेश भास्कर यशोद की अध्यक्षता में बच्चों से जुड़ी प्राथमिकताएँ एवं उपलब्धियों पर आधारित मण्डल स्तरीय स्टेकहोल्डर्स की संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह विशेष संगोष्ठी संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते (यू एन सीआरसी) के 35 वर्ष और यूनिसेफ के भारत में 75 वर्ष पूरे होने पूरे होने के उपलक्ष में आयोजित की गई। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी श्री सुमित राजेश महाजन, अपर जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर श्री गजेंद्र कुमार और प्रसिद्ध शायर श्री नवाज़ देवबंदी मौजूद रहे।

मंडलायुक्त ने बच्चों के हितों के सन्दर्भ में नवाचारों के आगाज़ के लिए यूनिसेफ से डिजिटल सेफ्टी, पंचायतों की अग्रणी भूमिका, बाल सुरक्षा की नीति आधारित एवं सामुदायिक स्तर पर और अधिक सहयोग देने की अपेक्षा की। संगोष्ठी का उद्देश्य बच्चों के सर्वांगीण और समावेशी विकास से सम्‍बन्धित चुनौतियों एवं प्राथमिकताओं की पहचान करना एवं लिंग और समानता जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अंतिम छोर के बच्चों के लिए परिणामों में तेजी लाने के लिए सभी हितधारकों की प्रतिबद्धता सुनिश्चित करना था। यूनिसेफ के अधिकारी डा0 अमित मेहरोत्रा ने बाल अधिकार समझौते के 35 और यूनिसेफ के 75 वर्ष की यात्रा पर एक लघु फिल्म दिखाई। उन्होंने कहा की यूनिसेफ उत्तर प्रदेश में सरकार व सभी हितधारकों के साथ मिलकर बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, सरकश एवं सहभागिता के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। ‘हर बच्चे को हर अधिकार’ की परिकल्पना सबके सम्मिलित और सार्थक प्रयासों से हो संभव है और इसलिए मंडलायुक्त एवं सभी जिलाधिकारियों का प्रभावी नेतृत्व और सतत समीक्षा अत्यंत आवश्यक और सराहनीय है। बच्चों से जुड़े आँकड़े एवं उपलब्धियां साझा करते हुए यूनिसेफ के अधिकारी डा. अमित मेहरोत्रा  ने कहा “मण्डल में  39 लाख बच्चे रहते हैं जिनमें 46.5% लड़कियां हैं। “उन्होंने कहा सहारनपुर मण्डल में पूर्ण टीकाकरण की दर में 2015-16 से 2019-21 के बीच 30 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है। साथ ही साथ उन्होंने मंडल में पोषण, एनीमिया एवं स्वच्छता सम्बन्धी उपलब्धियों की भी चर्चा की।संगोष्ठी में बच्चों ने भी अपने विचार साझा किए। शेखर मालीपुर, वशिका, खुशबू, गुलिश्तां और हुशना ने विचार साझा किए।ओपन सत्र में मण्डल में बच्चों से जुड़े कार्यक्रमों की प्रगति और प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई। संगोष्ठी में सभी ने बाल अधिकार को सुनिश्चित करने की शपथ ली। संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौता  बच्चों के अधिकारों पर एक महत्वपूर्ण एवं कानूनी रूप से मान्य विश्वव्यापी मानवाधिकार समझौता है जिसका प्रारूप 20 नवंबर 1989 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित किया गया एवं 1990 में लागू किया गया। इसे भारत ने 1992 में अंगीकृत किया था। CRC के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र के हर व्यक्ति को बच्चा माना गया है और इसके लिए 54 आर्टिकल में बच्चे को बिना भेदभाव के सभी अधिकारों को देने का वादा किया गया है  जिसमें मुख्य रूप में जीवन जीने का अधिकार, विकास का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार एवं प्रतिभागिता के अधिकार स्माइल हैं।  यूनिसेफ ने बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार के साथ 75 वर्ष की लंबी यात्रा तय की है। यूनिसेफ की महत्वपूर्ण तकनीकी सहायता से भारत में पहले पेनिसिलिन संयंत्र,  अमूल के साथ मिल्क रेवोल्यूशन, हैंडपंपों की मार्क श्रृंखला स्थापित करने और देश में जल क्रांति ली गई। इसके अलावा एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS), टीकाकरण पर राष्ट्रीय मिशन, स्वचहट अभियान, सरवबहोमिक शिक्षा बाल सुरक्षा से जुड़े व्यापक नीतियों और कार्यक्रमों को शुरू करने में भी मदद की। सरकार, साझेदारों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम करते हुए, यूनिसेफ ने भारत से चेचक और पोलियो जैसी बीमारियों को खत्म करने में सहयोग दिया।

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