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प्रसिद्ध शायर महमूद असर फ़खरे उर्दू अवार्ड से सम्मानित

प्रसिद्ध शायर महमूद असर फ़खरे उर्दू अवार्ड से सम्मानित

उर्दू भाषा को मुख्यधारा से अलग करके उसकी तरक्की नहीं होगी-मीरा नवेली

रिपोर्ट- अमान उल्ला खान

सहारनपुर-उर्दू जबान हमारी तहज़ीब, संस्कृति का हिस्सा है। इसका किसी धर्म, जाति या मज़हब से ताल्लुक नहीं है। उर्दू को मुख्यधारा से अलग करके उसकी तरक्की नहीं कर सकते। उक्त विचार शुक्रवार को आयोजित जश्न मीरा नवेली ऑल इंडिया मुशायरा देहरादून में शहर के प्रसिद्ध शायर महमूद असर सहारनपुरी को ऑल इंडिया उर्दू तालिमी बोर्ड लखनऊ द्वारा फ़खरे उर्दू अवार्ड से नवाज़ा गया। 

इस दौरान मीरा नवेली कवित्री व वरिष्ठ समाजसेवी ने महमूद असर की शायरी की प्रशंसा करते हुए कहा की महमूद असर हिंदुस्तान के कई राज्यों के अलावा कई मुल्क में अपनी शायरी के माध्यम से अपने शहर का नाम रोशन कर रहे है और मुशायरों, कवी सम्मलनों से उर्दू भाषा को बढ़ावा दें रहे है।शायर महमूद असर ने अपनी 25-30 वर्षो से शायरी जीवन की कई घटनाओं का जिक्र करते हुए मशहूर कलाम भी सुनाए। इस अवसर पर दानिश सिद्दीकी महासचिव ऑल इंडिया उर्दू तालिमी बोर्ड शाखा सहारनपुर ने कहा कि हमें इस देश की मिली जुली संस्कृति को ध्यान में रखते हुए सभी स्थानीय भाषाओं को पूरा सम्मान देने की जरूरत है। आज हमारी रोजमर्रा की जिदगी में उर्दू भाषा का इस्तेमाल लगातार घट रहा है। सच यह है कि हिदोस्तान की गंगा-जमुनी की तहज़ीब की अगर कोई ज़ुबान नुमाइंदगी करती है तो वह उर्दू ही है। इस जुबान को सभी समुदाय ने परवान चढ़ाया है।  युवा पीढ़ी को उर्दू साहित्य जगत की गतिविधियों से भी अवगत कराना चाहिए। उन्होंने मातृभाषा के ज्ञान पर जोर देते हुए कहा कि हमें यहां यह भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी बच्चे के समग्र विकास के लिए उसे उसकी मातृभाषा का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। अन्य भाषाओं की जानकारी से बेशक किसी भी बच्चे को बहुत फायदा होता है, लेकिन पढ़ाई के लिए स्थानीय और मातृभाषा उसके समग्र विकास में मदद करती है।

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