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मदरसे ईमान की रक्षा का किला-मौलाना मोहम्मद उमर साहब

मदरसे  ईमान की रक्षा का किला-मौलाना मोहम्मद उमर साहब

रिपोर्ट- अमान उल्ला खान

सहारनपुर:-बुढ़ाखेड़ा,आशरफुल उलूम मदरसे में ख़त्म क़लामुल्लाह की एक भव्य और आत्मिक समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जिले के बुजुर्ग, हज़रत मौलाना मोहम्मद उमर साहब मुजाहिदपुरी (पूर्व शिक्षक मदरसा शाहि मुरादाबाद) ने की। कार्यक्रम की शुरुआत मदरसे के छात्रों की तिलावत क़ुरान और नाते रसूल  से हुई, जिसका संचालन मौलाना मोहम्मद नीमी ने सफलता के साथ किया।


जामिया मजाहिर के उपप्रबंधक मौलाना मुफ़्ती सालेह ने अपने भाषण में देश की स्वतंत्रता के बाद  मदरसों की महत्वता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारे आका-बरगों ने इन मदरसों की नींव इस उद्देश्य के साथ रखी कि हमारी आने वाली पीढ़ियों का ईमान और दीन सुरक्षित रह सकें। मौलाना मुफ़्ती मकसूद (शिक्षक जामिया मजाहिर उलूम) ने अपने भाषण में आख़िरत की चिंता की ओर ध्यान दिलाया और कहा कि यह दुनिया अस्थायी है, और इसके बाद हमें एक दूसरी दुनिया में जाना है जहाँ हमारी नेकियाँ ही काम आएँगी। मौलाना मोहम्मद शाहिद माज़ाहिरी ने शिक्षा की महत्वता पर प्रकाश डाला और मिश्रित शिक्षा प्रणाली के हानिकारक प्रभावों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली से हमारी पीढ़ियाँ गुमराही का शिकार हो रही हैं, जिससे वे अपने धर्म  से दूर होती जा रही हैं। मौलाना ने इस खतरे के समाधान के लिए अभिभावकों और शिक्षा संस्थानों को वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली की तलाश पर जोर दिया ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ धर्म पर मजबूती से कायम रह सकें।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, शेखुल मशाइख़, हज़रत जी मौलाना शाह अब्दुलस्तार साहब बूरीवी दामत बारकातहुं अलायाह ने छात्रों को क़ुरान का आखिरी पाठ पढ़ाया और अपने महत्वपूर्ण भाषण में कहा कि क़ुरान मजीद अल्लाह की किताब भी है और अल्लाह का कलाम भी है। अगर कोई अल्लाह से बात करना चाहे, तो उसे क़ुरान पढ़ना चाहिए। क़ुरान ही शांति और सुरक्षा की शिक्षा देता है और इसी के माध्यम से दुनिया में शांति कायम हो सकती है। हज़रत शाह साहब की दुआ के साथ इस आध्यात्मिक समारोह का समापन हुआ। मदरसे के प्रमुख, मौलाना मोहम्मद मुस्तफा ने सभी मेहमानों का धन्यवाद अदा करते हुए मदरसे की कार्यक्षमता से अवगत कराया, जिस पर उलेमा और आम जनता ने खुशी का इज़हार किया।इस कार्यक्रम में जिले की महत्वपूर्ण हस्तियों ने भाग लिया, जिनमें मौलाना मोहम्मद हाशिम साहब (शेखुल हदीस जामिया इस्लामिया रीडी ताजपुरा), मौलाना अब्दुलमनान क़तर, मौलाना सगीर मुफ़्ती शाहिद (जामिया इस्लामिया रीडी), मौलाना अब्दुलजबर बूरीवी, और मौलाना फतह मोहम्मद नदवी (ख़जनवारी) शामिल हैं। मदरसे के छह छात्रों ने क़ुरान मजीद हिफ़्ज़ पूरा किया जिन्हें दस्तार-ए-फ़ज़ीलत से नवाज़ा गया, जबकि एक दर्जन छात्र और छात्राओं ने नज़राह क़ुरान पूरा किया। प्रतिभागियों और मेहमानों ने छात्रों की हौसला-अफ़ज़ाई के लिए इनाम प्रदान किए, जिनमें क़ारी मुदस्सर, नईम मलिक (अध्यक्ष एम्बेटा), और गांव के ज़िम्मेदार लोग, जनाब अब्दुलरऊफ और मौलाना अखलद शामिल हैं।

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