हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व करबला के 72 शहीदो की याद मे निकाला मातमी जुलूस
रिपोर्ट- अमान उल्ला खान
इस मौके पर अज़हर काजमी ने निकाले गये ज़ियारतो का ताअरूफ (परिचय) दिया उन्होने अपनी तकरीर मे बताया कि रसूले खुदा स0अ0अ0स0 की नज़र मे अहलेबैअत का क्या मरतबा था तफसील से ब्यान किया गया और उन्होने बताया कि यह शबीह ताबूत रसूले खुदा स0अ0अ0स0 के घराने के है जिन्हे करबला के मैदान मे हक के लिए शहादत दी। जुलूस मे अकीदत मंदो ने भारी तादाद मे जंजीरो मे बंघी छुरियो, कमाह, व हाथ से अपने शरीर पर मातम किया, हज़्ारत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व 72 शहीदो का गम उनके दिलो दिमाग पर छाया हुआ था। सभी ग़मजदा लोगो ने काले कपडे पहन रखे थे तथा नंगे पैर,गरेबान चाक,मातम करते हुए चल रहे थे। सभी अकीदत मंद या हुसैन,या अली, या अब्बास, हाय सकीना हाय प्यास की आवाजे़ बुलंद कर रहे थे। जुलूस छोटी इमाम बारगाह से शुरू होकर मौहल्ला मुत्रीबान,नखासा बाजार,खानी बाग, फारूख की मस्जिद नया बाज़ार, जामा मस्जिद कला पुल सबजी मंडी से होता हुआ मौहल्ला जाफर नवाज स्थित बडा इमाम बारगाह पहुच कर सम्पन्न हुआ।जुलूस मे सबसे आगे ऊट, घोडे बेलगाडिया, आदि पर बैठे छोटे छोटे बच्चे काले कपडे पहने हाय सकीना हाय प्यास, चमन चमन कली कली अली अली अली अली, नाराए तकबीर अल्लाहो अकबर, हुसैनियत ज़िदाबाद यज़ीदयत मुर्दाबाद आदि के नारे बोल रहे थे बच्चो के हाथे मे काले निशान लिए हुए चल रहे थे। जुलूस के बीच में शबीह अलम हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम को युसुफ आब्दी लेकर चल रहे थे।
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