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बजट में OPS और 8वां वेतन आयोग गायब

बजट में OPS और 8वां वेतन आयोग गायब

फिर आंदोलन की राह पकड़ने को मजबूर होंगे कर्मी

रिपोर्ट-अमान उल्ला खान

सहारनपुर-केंद्रीय बजट में सरकार का अपने कर्मचारियों के लिए सख्त संदेश है। बजट में 'पुरानी पेंशन बहाली', जिसके लिए विभिन्न केंद्रीय व राज्य संगठन लंबे समय से आवाज उठा रहे थे, उनका जिक्र तक नहीं किया गया। इतना ही नहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने अपने बजट भाषण में 'आठवें वेतन आयोग' के गठन को लेकर भी कोई घोषणा नहीं की। एक तरह से वित्त मंत्री का सरकारी कर्मियों के लिए सख्त संदेश है कि उन्हें एनपीएस में ही रहना होगा। उन्होंने बजट भाषण के दौरान कहा, वे नेशनल पेंशन सिस्टम को लेकर सरकारी कर्मचारियों की चिंताओं से अवगत हैं। इस बाबत जल्द ही एक समाधान की घोषणा की जाएगी। दूसरी तरफ कर्मचारी संगठन, ओपीएस व दूसरी मांगों को लेकर एक बार फिर आंदोलन करने को मजबूर होंगे। 

बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्य कर्मचारियों के नेता सोमपाल राणा मण्डल अध्यक्ष उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ सहारनपुर मण्डल ने कहा की पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है। इनकम टैक्स में छूट तो अच्छा कदम है। इसके साथ ही अन्य कई मामलों पर भी बात होनी चाहिए थी। कोरोनाकाल के पश्चात जिस तरह से महंगाई बढ़ी है। महंगाई भत्ता जुड़ने से वेतन तो बढ़ा लेकिन स्टैंडर्ड डिडक्शन की धनराशि 50 से बढ़कर 75 हजार करके सिर्फ कर्मचारियों को लॉलीपॉप दिया गया है। ऐसे में बजट कर्मचारियों के लिए निराशाजनक रहा है। तरुण भोला मुख्य सलाहकार महासंघ ने कहा की पुरानी पेंशन बहाली पर केंद्र सरकार की ओर से कोई भी निर्णय न लेना अत्यंत चिंताजनक है। देश के 85 लाख कर्मचारी, अधिकारी, शिक्षक, डाक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, रेलवेकर्मी, बैंककर्मी, इंजीनियर, लेखपाल, पटवारी सभी को निराशा हाथ लगी है। धर्मेन्द्र प्रधान जिलाध्यक्ष उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ ने कहा की बजट में कुछ भी नहीं है। कर्मियों और शिक्षकों को बजट में पुरानी पेंशन बहाली, आठवें वेतन आयोग, कोरोनाकाल में जब्त किए गए कई महीनों के महंगाई भत्ते, लाखों रिक्त पड़े पदों को भरने आदि की उम्मीद थी। दानिश सिद्दीकी जिलामंत्री महासंघ कर्मचारी नेता ने कहा की दिन-रात लगे रहने वाले करोड़ों कर्मचारियों के मुद्दे पर कोई फैसला नहीं लिया गया। देश में निजीकरण बढ़ता जा रहा है। रोजगार पर भी सरकार को कोई स्पष्ट विजन सामने नहीं आया। ऐसे में रोजगार के अवसर कहां से और कैसे उपलब्ध होंगे, कोई नहीं जानता। सरकार का फोकस आउटसोर्सिंग/संविदा के तहत कर्मचारियों की भर्ती पर है। इससे कर्मचारियों का शोषण लगातार जारी रहेगा।

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