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मजालिस में हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम की शहादत पर डाली रोशनी

मजालिस में हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम की शहादत पर डाली रोशनी 

रिपोर्ट-अमान उल्ला खान

सहारनपुर- 8 मोहर्रम सन् 1446 हिजरी मजालिस में हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम की शहादत पर रोशनी डाली गयी।मजालिस मे सब से पहले मरसिए खानी की गयी मरसिया पढने वालो मे आसिफ अल्वी, सलीस हैदर काजमी, हमज़ा जैदी सलीम आब्दी, खुवाजा रईस अब्बास आदि थे।पहली और तीसरी मजलिस ईरान क़ुम से तशरीफ लाये, मौलाना ज़हूर मेहदी मौलाई, दूसरी मजलिस दिल्ली से तशरीफ लाये, मौलाना सज्जाद रब्बानी, चौथी मजलिस को दिल्ली से तशरीफ लाये, डाक्टर मौलाना मेहदी बाकिर खान मेराज ने खिताब फरमाया। वही मजलिस वक्फ इमामबाड़ा मारूफ सै0 मुख्तार हुसैन ग्राम सैय्यद मजरा सहारनपुर मे ईरान से तशरीफ लाये, मौलाना सै0 गज़नफर नकवी ने खिताब फरमाया तथा सोज़खानी सै0 इकरार हुसैन, सै0 इंतेजार हुसैन, सै0 मुताहर हुसैन ज़ैदी ने की।

मजलिस में शिया विद्वानो ने हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के भाई व लशकर के सिपहसालार हज़रत अब्बास अलमदार अलैहिस्सलाम की शहादत पर रोशनी डाली। मजालिस में बताया गया कि हजरत अब्बास इब्न अली अलैहिस्सलाम शिया मुसलमानों के पहले इमाम और सुन्नी मुसलमानों के चौथे खलीफ हजरत इमाम अली अलैहिस्सलाम और जनाबे फातिमा स.अ. के पुत्र थे। हजरत अब्बास अलैहिस्सलाम एक बहादूर हाशमी जवान थे जिन्होने अपने भाई हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ कर्बला की जंग बडी बहादूरी के साथ लडी और शहीद हुए। हजरत अब्बास अलैहिस्सलाम का इराक के करबाला में रोजा है। हजरत अब्बास हजरत अलैहिस्सलाम, हज़रत इमाम अली इब्ने अबी तालिब के पुत्र थे। हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम के तीन भाई थे हज़रत अब्दुल्ला इबने अली अलैहिस्सलाम, हज़रत जाफर इबने अली अलैहिस्सलाम और उस्मान इबने अली अलैहिस्सलाम। हजरत अब्बास अलैहिस्सलाम ने ग्यारह वर्ष की आयु में सिफिन की लड़ाई में एक सैनिक के रूप में शुरुआत की। अपने पिता के कपड़े पहने हुए जो एक महान योद्धा होने के लिए जाने जाते थे हजरत अब्बास इबने अली अलैहिस्सलाम ने एक साथ कई दुश्मन सैनिकों को मारा। करबला में हज़रत इमाम हुसैन के काफले मे छोटे छोटे बच्चे थे जो तीन दिन से पानी की प्यास से तडप रहे थे। हजरत अब्बास अलैहिस्सलाम बच्चो की प्यास को देख नही पाये और नहर पर पानी लेने चले गये यजीदी लशकर ने जब हजरत अब्बास अलैहिस्सलाम को पानी लेकर जाते देखा तो यजीद के लशकर ने हजरत अब्बास अलैहिस्सलाम पर हमला कर दिया और हजरत अब्बास अलैहिस्सलाम के बाजू कलम कर दिये गये (हाथ काट दिये)। हजरत अब्बास अलैहिस्सलाम हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के उन हाशमी जवानो में से थे जिनके बहदुरी से यजीदी लश्कर कापने लगता था  मजलिसो के आखिर मे नौहा खानी की गयी जिसमे अन्जुमने अकबरिया, सोगवारे अन्जुमने अकबरिया व अन्जुमने इमामिया ने नौहा खानी व सीनाजनी की।आज सुबह से ही अजादारो के घरो मे नियाज़ो का अहतेमाम किया गया नियाज़ करने वालो मे खुवाजा खुर्शीद अखतर, प्यारे मिया, आई0एम0 जैदी, रियाज़ हैदर, मौहम्मद अली हवारी, ताज़िम जैदी आदि रहे।हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम की याद नगर मे घर घर सक्काई की गयी । हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम की याद मे शिया सोगवार मननते मांगते है और अपने बच्चो को सक्का बनाते है। घरो मे सक्काई की गयी घरो से छोटे छोटे अलम के साथ निकले और छोटा इमामबाडा अन्सारियान पहुचकर सक्काई की रस्म पूरी की गयी सक्काई मे शर्बत, चाय, कॉफी, पानी आदि तकसीम की गयी।सक्काइ करने वालो में मुख्यतः अली जैब काज़मी, मुहम्मद मोहसिन काज़मी, मुहम्मद हसन काज़मी मिर्ज़ा मेहरबान पंजेतन, कैफ जैदी तुराब जैदी, अली, आदिल, काशिफ जैदी सलमान हैदर, वासिल, आतिफ, मौहम्मद, लवी, प्रिन्स, जै़न, ज़मन, राजू काशान, मासूम जैदी, शाने जैदी, मीसम काजमी, मैहदी हसन आदि ने की।

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अंजुमन गुलिस्तान-ए-उर्दू अदब के तत्वाधान में आयोजित हुआ मुशायरा।