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हज़रत अली असग़र अलैहिस्सलाम की शहादत पर डाली रोशनी

हज़रत अली असग़र अलैहिस्सलाम की शहादत पर डाली रोशनी 

रिपोर्ट-अमान उल्ला खान

सहारनपुर- 9 मोहर्रम सन् 1446 हिजरी मजालिस में हज़रत अली असग़र अलैहिस्सलाम की शहादत पर रोशनी डाली गयी, शब्बेदारी के लिये अज़ाखाने सजाये गये, चौक गुलवो का बड़तला मौहल्ला अन्सारियान, पीर साहब के मज़ार मौहल्ला चौधरियन, चौक मौहल्ला खवाजा जादगान, में ताजिये रखे गये।मजालिस मे सब से पहले मरसिए खानी की गयी मरसिया पढने वालो मे आसिफ अल्वी, सलीस हैदर काजमी, हमज़ा जैदी सलीम आब्दी, खुवाजा रईस अब्बास आदि थे। पहली और तीसरी मजलिस ईरान क़ुम से तशरीफ लाये, मौलाना ज़हूर मेहदी मौलाई, दूसरी मजलिस दिल्ली से तशरीफ लाये, मौलाना सज्जाद रब्बानी, चौथी मजलिस को दिल्ली से तशरीफ लाये, डाक्टर मौलाना मेहदी बाकिर खान मेराज ने खिताब फरमाया। वही मजलिस वक्फ इमामबाड़ा मारूफ सै0 मुख्तार हुसैन ग्राम सैय्यद मजरा सहारनपुर मे ईरान से तशरीफ लाये, मौलाना सै0 गज़नफर नकवी ने खिताब फरमाया तथा सोज़खानी सै0 इकरार हुसैन, सै0 इंतेजार हुसैन, सै0 मुताहर हुसैन ज़ैदी ने की

मजलिसो मे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के काफिले का 7 मोहर्रम से पानी बन्द कर दिया गया था। इमाम हुसैप अलैहिस्सलाम के काफिले में पानी नही था सभी प्यासे थे। हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के छः माह के हज़रत अली असगर अलैहिस्सलाम पानी की प्यास से तडप रहे थे हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने हज़रत अली असगर अलैहिस्सलाम को अपनी गोद मे लिया और जंग के मैदान मे पहुचे और यज़ीदी लश्कर से कहा ‘हो सकता है कि मै तुम्हारी नज़र मे खतावार हॅू लेकिन इस छोटे बच्चे ने तो कोई खता नही की है इसे थोडा सा पानी पिला दो’ इसके जवाब मे यज़ीद के लश्कर की ओर से र्हुमला ने तीन भाले का तीर नन्हे से बच्चे हज़रत अली असग़र अलैहिस्सलाम की गर्दन  पर मारा। हज़रत अली असगर अलैहिस्सलाम मुस्कुराते हुआ अपने वालिद हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की गोद में शहीद हो गये। हज़रत अली असगर अलैहिस्सलाम  कर्बला के सबसे छोटे शहीद है।मजलिसो के आखिर मे नौहा खानी की गयी जिसमे अन्जुमने अकबरिया, सोगवारे अन्जुमने अकबरिया व अन्जुमने इमामिया ने नौहा खानी व सीनाजनी की।चौक गुलवो का बड़तला मौहल्ला अन्सारियान, पीर साहब के मज़ार मौहल्ला चौधरियन, चौक मौहल्ला खवाजा जादगान, में ताजिये रखे गये। सभी इमामाबाड़ो में शब्बेदारी करने के लिये रोशनी की गयी नौ मौहर्रम की रात में अजादार शब्बेदारी करते है। हज़रत अली असग़र अलैहिस्सलाम का झूला वक्फ जनाना इमामबाड़ा हाजी सादिक हुसैन मारूफ हज्जन तुल्ली में जनानी मजलिस के बाद निकला गया।  

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अंजुमन गुलिस्तान-ए-उर्दू अदब के तत्वाधान में आयोजित हुआ मुशायरा।