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हज़रत हबीब इब्ने मजाहिर अलैहिस्सलाम की शहादत पर रोशनी डाली

  हज़रत हबीब इब्ने मजाहिर अलैहिस्सलाम की शहादत पर रोशनी डाली 

रिपोर्ट-अमान उल्ला खान

सहारनपुर- मोहर्रम की चार तारीख को नगर के विभिन्न इमाम बारगाहो मे मोहर्रम की चार तारिख मे आयोजित मजालिस मे मुस्लिम धार्मिक विद्वानो ने हज़रत हबीब इब्ने मजाहिर अलैहिस्सलाम की शहादत पर रोशनी डाली गयी। मजालिस मे सब से पहले मरसिए खानी की गयी मरसिया पढने वालो मे आसिफ अल्वी, सलीस हैदर काजमी, हमज़ा जैदी सलीम आब्दी, खुवाजा रईस अब्बास आदि थे।

पहली और तीसरी मजलिस ईरान क़ुम से तशरीफ लाये, मौलाना ज़हूर मेहदी मौलाई, दूसरी मजलिस दिल्ली से तशरीफ लाये, मौलाना सज्जाद रब्बानी, चौथी मजलिस को दिल्ली से तशरीफ लाये, डाक्टर मौलाना मेहदी बाकिर खान मेराज ने खिताब फरमाया। वही मजलिस वक्फ इमामबाड़ा मारूफ सै0 मुख्तार हुसैन ग्राम सैय्यद मजरा सहारनपुर मे ईरान से तशरीफ लाये, मौलाना सै0 गज़नफर नकवी ने खिताब फरमाया तथा सोज़खानी सै0 इकरार हुसैन, सै0 इंतेजार हुसैन, सै0 मुताहर हुसैन ज़ैदी ने की।मजालिस मे ब्यान किया गया कि स्न 61 हिजरी में यजीद नाम का बादशाह तख्त पर था। जो शराब जूआ अय्य्ाशी को आम करना चाहता था। समाज से इन बुराई को खत्म करने के लिए हजरत इमाम हुसैन ने यजीद के खिलाफ अपनी आवाज को बुलन्द की, जिस पर यजीद ने हजरत इमाम हुसैन अ0स0 की आवाज दबाने की कोशिश की और जब वो नही माने तब उसने हजरत इमाम हुसैन अ0स0 को करबला में जंग के लिए उनके सामने लाखों सिपाहियो की फोज भेजी। हजरत इमाम हुसैन अ0स0 की फौज में कुल 72 लोग थे जिसे 6 माह के बच्चें से लेकर 80 साल के बंुढे हबीब इब्ने मजाहिर भी मौजूद थंे। आज दुनिया में यजीद का नाम लेने वाला कोई नही है। और हजरत इमाम हुसैन अ0स0 को आज भी पूरी दुनिया में याद किया जा रहा है। और आज दुनियां इमाम हुसैन अ0स0 के बताये गये रास्तें पर चलती है। हराम चीजों से बचना और खुलूस से रहना। हलाल काम करना इमाम हुसैन अ0स0 का सन्देश है। मजलिस के आखिर में शहादत हज़रत हबीब इब्ने मजाहिर अलैहिस्सलाम पर रोशनी डाली गयी। हज़रत हबीब इब्ने मजाहिर अलैहिस्सलाम कर्बला के सबसे बुजुर्ग शहीदो में से है। हज़रत हबीब इब्ने मजाहिर अलैहिस्सलाम सहाबी ए रसूल स0 अ0 व सहाबी ए मौला मुश्किल कूशा हजरत अली अलैहिस्सलाम भी रहे आपने इस्लाम की बका के लिए हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का हर कदम पर साथ दिया और कर्बला के मैदान में शहादत दी।मजालिस के आखिर मे नौहा खानी की गयी जिसमे अन्जुमने अकबरिया व अन्जुमने इमामिया व अन्जुमने सोगवारे अकबरिया ने नौहा खानी व सीनाज़नी की।  



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