औघड़ दानी नर्मदेश्वर महादेव का श्रवण के प्रथम सोमवार को किया गया महा रुद्राभिषेक
महादेव की महिमा का वर्णन करते हुए स्वामी कलेंद्रानंद जी महाराज ने कहा शिव ही जीव की मुक्ति का मूल साधन है उन्होंने कहा शिव की ऊर्जा ही परम तत्व है शिव तत्व ही जगत का परम तत्व है और शिव का परम तत्व ही सृष्टि का प्राण है शिव के बिना सृष्टि का आवागमन संभव नहीं है। महाराज श्री ने कहा शिव ही सृष्टि की कल्याण का मूल है शिव शब्द का अर्थ ही कल्याण है अर्थात शिव की शरणागति ही कल्याण का साधन है प्रत्येक जीव को श्रावण मास में शिवजी की समर्पित भाव से पूजा करनी चाहिए जिससे उसके जीवन में मूल तत्व रूपी ऊर्जा का संचरण होता है जिससे जीव का आत्मिक बल बढ़ता है आत्मिक बल से ही जीवन सर्वोच्चता के मार्ग को प्राप्त करता है महाराज श्री ने कहा श्रावण मास में शिवजी पर पंचामृत से अभिषेक करने से एवं बेलपत्र भाग पत्र दूर्वा आंख पत्र चढ़ाने से जीव को कम बंधन से मुक्ति मिलती है शिव की भक्ति से ही जीव को अपनी पूर्व कर्म गति के चक्र से मुक्ति मिलती है इसलिए प्रत्येक जीव को शिव की शरणागति होकर अपने जीवन को ऊर्जावान बनाकर अपने आप को जगत कल्याण के लिए प्रस्तुत करना चाहिए उन्होंने कहा सनातन का उत्थान ऊर्जा के संरक्षण से ही हो सकता है क्योंकि यह शाश्वत नियम है जिसकी ऊर्जा का सात्विक भाव अधिक होगा उसी की विजयश्री होगी अर्थात शिव भक्ति पूजा से प्रकट ऊर्जा ही जीव जगत एवं ब्रह्मांड का कल्याण करती है इसी में जीव का कल्याण है इस अवसर पर मैहर चंद जैन राजेंद्र धीमान अश्विनी कंबोज सागर गुप्ता संजय जैन उमा राधा बाला बिना सुदेश सुरेश विभा संगीता आदि रहे
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