एतकाफ करने वाला सारी दुनिया को भुलाकर सिर्फ अल्लाह की इबादत में मशगूल रहता है-मौलाना शमशीर
रिपोर्ट -डॉ0 ताहिर मलिक
मदरसा जामिया दावतुल हक मुईनिया चर्रोह के प्रबंधक मौलाना शमशीर कासमी ने रमजान के आखरी अशरे के बारे में बयान करते हुए बताया कि रमजान के आखरी अशरे में एतकाफ किया जाता है जिसमें एतकाफ करने वाला सारी दुनिया को भुलाकर सिर्फ अल्लाह की इबादत में मशगूल रहता है यह एक खास इबादत है। मौलाना ने कहा कि एतकाफ सुन्नतें मोअककदा अल किफाया है यानि मस्जिद के इलाके के लोग मस्जिद में रहकर एतकाफ करे लेकिन अगर ऐसा ना हो तो कोई एक आदमी भी एतकाफ कर ले तो सबकी तरफ से एतकाफ अदा हो जाता है। लेकिन अगर कोई एतकाफ नहीं करता तो वो लोग सुन्नत छोडने वाले हैं।उन्होंने कहा कि औरतें घर में एतकाफ कर सकती हैं। मौलाना शमशीर कासमी ने कहा कि मसनून एतकाफ टूट जाये तो उसकी कजा जरूरी है चाहे वो जानबूझ कर तोडा गया हो या मजबूरन। मौलाना ने बताया कि जिस दिन का एतकाफ टूटा है उस दिन की ही कजा वाजिब होगी। अगर दिन में टूटा है तो रोजा रख कर सुबह सादिक से सूरज ढलने तक मस्जिद में रहे और अगर रात में टूटा है तो एक रात और अगला दिन मस्जिद में गुजारे और कजा के साथ रोजा भी जरूरी है। यदि कोई ऐसी बीमारी हो जाये जिसका ईलाज मस्जिद में मुमकिन न हो तो एतकाफ तोडा जा सकता है। किसी अजीज की मौत होने पर,घर वालो की जान माल और आबरू को खतरा हो जाये तो एतकाफ तोडा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इनके अलावा भी कुछ और नियम कायदे हैं जिनके बारे में उलेमा से जानकारी कर लेनी चाहिए। अल्लाह बहुत रहीम और रहमान है जो रमजान मे बंदों पर रहमतो की बारिश करता है। हम सभी को चाहिए कि दिन रात अल्लाह की इबादत करके उसकी खुशनुदी हासिल करें और अल्लाह से अपनी मगफिरत करा लें।
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