मानव हनुमान जी के तीन गुण अपना ले तो श्रीराम का प्रिय बन जाएः-संत विजय कौशल
रिपोर्ट-सुभाष कश्यप
सहारनपुर-मानव स्वभाव की तीन भूलों के कारण माता सीता का हरण हुआ, तो वहीं हनुमान जी अपनी तीन विशेषताओं के कारण ही श्रीराम के प्रिय हुए, माया के पीछे भागना, संत की बात का ध्यान न देना और शास्त्र वर्णित मर्यादा का उल्लंघन सीता हरण का आधार बना, श्रीराम कथा के पंचम दिन सीता हरण और लंका दहन प्रसंग का वर्णन करते हुए कथा व्यास मानस मर्मज्ञ विजय कौशल जी महाराज ने समाज को बड़ी सीख दी।
शिवधाम मन्दिर बाबा लालदास रोड़ पर श्री रामेश्वर धाम मन्दिर के प्रथम वार्षिकोत्सव के उपलक्ष में आयोजित 07 दिवसीय श्री राम कथा में पंचम वे दिन संत प्रवर श्री विजय कौशल जी महाराज के मुख से प्रसंग का आरंभ अशोक वाटिका में माँ जानकी के दर्शन व लंका दहन के प्रसंग के साथ शुरू हुआ। संत प्रवर श्री विजय कौशल महाराज जी ने हनुमान जी के मिलन का वर्णन करते हुए उनकी तीन विशेषताएं जोकि उन्हें श्रीराम का प्रिय बनाती हैं, का वर्णन भी किया, कहा हनुमान जी ने अपना नाम कभी नहीं रखा, जिस नाम से भी उन्हें पुकारा जाता है वो सभी उनकी विशेषताएं हैं, क्योंकि हनुमान जी कहते हैं जग में सुंदर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम, हनुमान जी ने अपना रूप वानर का अपनाया और अपने यश को त्यागा, जामवंत द्वारा हनुमान जी को उनका पुरुषार्थ स्मरण कराने के बाद जब सागर पार कर हनुमान जी लंका पहुंचे उसका मानो कथा व्यास जी ने सजीव वर्णन कर दिया, मार्ग की तमाम बधाओं को पार कर लंका पहुंचे, दिन ढलने के बाद रात के अंधकार में रावण स्वभाव जाना, दिन में जो रावण मर्यादित और भक्त बनता था वो ही रात में मदिरा और मांस का भक्षण करता है, विडंबना थी कि रावण की लंका में सभी मकान मंदिरों की आकृति के थे, विभिषण मिलन पर जब संत मिलन हो जाए, तेरी वाणी हरी गुण गाए तब इतना समझ लेना अब हरी से मिलन होगा…भजन ने भक्तिमय भाव का संचार किया, उन्होंने कहा ज़ब हनुमान जी अशाेक वाटिका में दुखी मन से बैठीं माता सीता से मिले, माता के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया और उन्हें मुद्रिका सौंप कर जब कहा कि मैं करुणानिधान का सेवक हूं तब माता सीता का मार्मिक भाव दृश्य हर श्रद्धालु के नेत्रों में उतर आया और नेत्र सजल हो गए, हनुमान जी ने माता जी की आज्ञा प्राप्त कर अपनी सुधा शान्ता करने के लिये फल खाने बाग में चले गये और वहां उनका सामना राक्षाओं से हुआ, हनुमान जी ने एक एक राक्षस का वध किया, हनुमान जी ने रावण को खूब और अनेकों प्रकार से समझाया पर वो नही माना तो हनुमान जी ने श्रीराम जी की कृपा से लंका दहन किया, लंका दहन एवं प्रभु श्रीराम से माता सीता की व्यथा वर्णन के साथ पंचम दिन की कथा का समापन हुआ। आज पंचम दिवस कथा सत्र में श्रीमती अंगूरी देवी जी अपने सुपुत्र श्री अजय गुप्ता जी अपने पोत्र कमल गुप्ता जी दामाद अनिल गुप्ता जी बेटी अचला गुप्ता जी और समस्त परिवार जन उपस्थित हुए, आपकों बतादें शिव धाम मंत्री श्री राजीव गुप्ता जी ने बताया जहां पर भगवान की मंगल मैं भव्य कथा का रसास्वादन पूज्य महाराज श्री विजय कौशल जी द्वारा कराया जा रहा है यह ईश्वर की कृपा से पितृ आशीर्वाद से गुप्ता परिवार द्वारा ही बनवाया गया है, पूज्य महाराज जी ने व्यास पीठ से गुप्ता परिवार को बहुत सारा आशीर्वाद दिया, कथा में राहुल माहेश्वरी कथा प्रवक्ता, पिंटू प्रजापति, धर्मवीर गर्ग, शपरविंदर बंसल, सुभाष अग्रवाल, रवि कश्यप, यशपाल भाटिया संस्थापक सदस्य सरस्वती विहार स्कूल, शिव कुमार सारफ़, राजीव गुप्ता मंत्री दिशा भारती डिग्री कालेज, राम अवतार, प्रगीत कौशिक अधिष्ठाता राधा कृष्ण मंदिर माँ जगदंबा कुटुंब परिवार, विनोद माहेश्वरी अध्यक्ष सरस्वती विद्या मंदिर, चंद्र किशोर प्रधानाचार्य सरस्वती विद्या मंदिर, रंजन गुप्ता, देवेंद्र गुप्ता, श्रवण गुप्ता, पंकज मल्होत्रा प्रॉपर्टी डीलर, पंकज कश्यप, योगेश बंसल, हर्ष गांधी, पवन गांधी, मुकेश सिंघल, विशाल कश्यप-इंडिया अहेड नेशनल न्यूज़ चैनल, सुभाष कश्यप- संपादक पश्चिम परिक्रमा समाचार पत्र, आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।
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