नारी विश्व के लिए करुणा संजोने वाली महाकृति-अलेक्स
संतोष अलेक्स को दिया गया ‘सोमलता उपाध्याय हिंदी सेवी सम्मान-2024‘
रिपोर्ट-अमान उल्ला खान
स्वामी रामतीर्थ केंद्र में हिंदी व संस्कृत के प्रख्यात विद्वान डॉ.विष्णुकांत शुक्ल की अध्यक्षता में आयोजित समारोह का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन से हुआ। डॉ.वीरेन्द्र आज़म ने स्व.सोमलता उपाध्याय के हिंदी अनुराग का उल्लेख करते हुए बताया कि सूर्यकांत त्रिपाठी की विख्यात रचना ‘राम की शक्ति पूजा’ उन्हें कंठस्थ थी और अज्ञेय जैसे महान साहित्यकारों से उनका पत्राचार होता था। समादृत साहित्यकार संतोष अलेक्स का परिचय देते हुए बताया कि कवि, लेखक और अंतराष्ट्रीय ख्याति के बहुभाषी अनुवादक अलेक्स अहिंदी भाषी होते हुए लगातार हिंदी को समृद्ध कर रहे हैं। उनकी 66 पुस्तके प्रकाशित हो चुकी है और दुनिया भर की 30 भाषाओं में उनकी अनेक कृतियों व रचनाओं का अनुवाद हो चुका है। उन्होंने 6 उपन्यासों का मलयालम से हिंदी में अनुवाद किया है। संतोष अलेक्स ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि समाज में स्त्रियों का विशिष्ट स्थान रहा है। नारी नर की खान है। वह पति के लिए चरित्र, संतान के लिए ममता, समाज के लिए शील और विश्व के लिए करुणा संजोने वाली महाकृति है। उन्होंने कहा कि वह विदूषी सोमलता जी के नाम पर स्थापित यह सम्मान पाकर स्वयं को गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। संयोजक राजेंद्र शर्मा की सराहना करते हुए कहा कि समर्थ लोगों में समाज के प्रति प्रतिबद्धता कम मिलती है लेकिन राजेंद्र शर्मा दूसरे लोगों को आगे बढ़ाने का बड़ा काम कर रहे है, इसके लिए वे अनुकरणीय है और अभिनंदनीय हैं। उन्होंने हिंदी भाषा की समृद्धि के लिए लगातार काम करने पर बल दिया।
पूर्व विधायक संजय गर्ग ने कहा कि सोमलता उपाध्याय संवाद और संवेदना का शिखर थी। उन्होंने कहा कि एक मलयाली साहित्यकार हिंदी सेवा के साथ अनुवाद के माध्यम से भाषाओं को बचाने का बड़ा कार्य कर रहा है, यह काफी सुखद है। कहा, भाषा लुप्त होती है तो संस्कृति लुप्त हो जाती है। इस तरह वह भाषा को ही नहीं संस्कृति बचाने का भी काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी को अपनी धरती पर जो सम्मान मिलना चाहिए था वह नहीं मिला। उन्होंने तकनीकी शिक्षा में हिंदी को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। इसके अलावा सोमलता उपाध्याय के जीवन साथी डॉ.एस के उपाध्याय, उनके पुत्र डॉ.अंकुर उपाध्याय तथा डॉ. उपाध्याय के शोध छात्र रहे नकुड़ के डॉ. संजय चौहान ने भी सोमलता उपाध्याय को लेकर अनेक संस्मरण साझा किये। गंगेश्वर प्रभाकर ने रामतीर्थ केंद्र की स्थापना का उल्लेख करते हुए, भाषा के महत्व पर विस्तार से बात की इससे पूर्व संयोजक राजेंद्र शर्मा, जावेद सरोहा, डॉ. नूतन उपाध्याय, डॉ. नीलम गौड, सुमन शर्मा, संजीव शर्मा, संदीप सैनी, स. कंवल जीत बत्रा, जितेंद्र तायल, चंद्रकिशोर सिंह, के.के गर्ग, आदेश शर्मा, नीरज सैनी आदि ने माल्यार्पण कर अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डॉ. वीरेन्द्र आज़म ने किया।
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