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वीरेन्द्र आज़म की पुस्तक ‘‘डॉ. अनिल वर्मा : फैंसिस़ मीनियन‘‘ का लोकार्पण

वीरेन्द्र आज़म की पुस्तक ‘‘डॉ. अनिल वर्मा : फैंसिस़ मीनियन‘‘ का लोकार्पण

भारतीय लेखकों के अलावा विदेशी लेखकों ने भी लिखा अनिल वर्मा के साहित्य पर 

रिपोर्ट-अमान उल्ला खान

सहारनपुर-वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. वीरेन्द्र आज़म द्वारा सम्पादित अंग्रेज़ी साहित्य के प्रख्यात रचनाकार डॉ. अनिल वर्मा के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित पुस्तक ‘‘डॉ. अनिल वर्मा : फैंसिस़ मीनियन‘‘ का यहां दिल्ली रोड स्थित एक सभागार में आयोजित भव्य समारोह में लोकार्पण किया गया।

पुस्तक सम्पादक डॉ. वीरेन्द्र आज़म ने डॉ. अनिल वर्मा के व्यक्तित्व व साहित्य की जानकारी देते हुए बताया कि डॉ. वर्मा की चार काव्य संग्रहों सहित एक दर्जन पुस्तकें अंग्रेजी में प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि लोग अपने माता-पिता के स्वर्गवास के बाद उनका तर्पण जलांजलि से करते हैं लेकिन डॉ. वर्मा ने तीन सौ से अधिक कविताएं मां पर लिख कर अपनी माता का तर्पण काव्यांजलि से किया है। डॉ.वर्मा के रोम-रोम में मां है। वह अपने घर आंगन की क्यारियों, फूल-फूल पर मंडराती तितलियों, उपवन की खुशबु, गंगा की अविरल धारा, चांद की चांदनी, भोर की रश्मियों, इंद्रधनुषी रंगों और हिम शिखरों पर खिलखिलाती धूप में भी मां की उपस्थिति महसूसते हैं। उन्होंने बताया कि पुस्तक ‘‘डॉ. अनिल वर्माः फैंसिस मीनियन‘‘ में भारतीय लेखकों के अलावा रुस, कनाड़ा, आस्ट्रेलिया, मॉरीशस, सिंगापुर व अमेरिका सहित अनेक देशों के लेखकों ने भी उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तार से लिखा है। डॉ. वर्मा एक श्रेष्ठ रचनाकार, एक श्रेष्ठ मित्र और एक श्रेष्ठ इंसान के अलावा एक श्रेष्ठ शिक्षाविद् भी हैं।

डॉ. अनिल वर्मा ने अपनी साहित्यिक यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि मन में उमड़ते-घुमड़ते विभिन्न भावों का शब्द विधान कविता है। माता जी के निधन के बाद जो भाव विभिन्न अनुभूतियों के साथ मन में आये वह कागज पर उतर कर कविता रुप में आकार लेते गए। उन्होंने अपनी सभी एक दर्जन कृतियों पर विस्तार से बात करते लोकार्पित पुस्तक का उल्लेख करते हुए कहा कि पुस्तक का सम्पादन कर डॉ. वीरेन्द्र आज़म ने मुझे गौरवान्वित किया है। समारोह अध्यक्ष डॉ. पी के शर्मा ने डॉ. अनिल वर्मा को आज का शेक्सपियर कहकर सम्बोधित किया। प्रख्यात शिक्षाविद् विष्णुकांत शुक्ल ने कहा कि डॉ. अनिल वर्मा सहारनपुर की अमूल्य साहित्य निधि है। डॉ. ममता सिंघल ने उनके साहित्य को मील का पत्थर और इतिहासविद् डॉ. रमेश दत्त ने अनिल वर्मा को अंग्रेजी साहित्य का दमकता सूर्य बताया। डॉ. अनुपम बंसल ने उनकी एक कृति नॉस्टेलजिया का उल्लेख करते हुए कहा कि उसमें मां की खुशबु है। इसके अतिरिक्त डॉ.पूरण चंद, डॉ. अजय शर्मा, डॉ. हरिओम गुप्ता, डॉ. शशि नोटियाल, डॉ. शुभ्रा चतुर्वेदी, डॉ.अंशुल शर्मा, डॉ.वंदना रुहेला व डॉ.अशोक शर्मा ने भी विचार व्यक्त किये। समारोह में उक्त के अलावा डॉ.हरवीर, डॉ. महेश, डॉ.गुरुदेव, डॉ.अनंत अग्रवाल, डॉ.वरिन्दर जैन, डॉ.आर के गुप्ता, मनीष कच्छल, एडवोकेट राजीव व नीरज सैनी सहित साहित्य जगत के अनेक विद्वान शामिल रहे।

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