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देने ही देने की भावनाएं हैं वहाँ प्रेम है-श्री चैतन्य जी महाराज

देने ही देने की भावनाएं हैं वहाँ प्रेम है-श्री चैतन्य जी महाराज

रिपोर्ट -डॉ0 ताहिर मलिक

रामपुर मनिहारान-कथा वाचक श्री चैतन्य जी महाराज ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह को एकाग्रता से सुना।श्रीकृष्ण-रुक्मणि का वेश धारण किए बाल कलाकारों पर भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।श्रद्धालुओं ने विवाह के मंगल गीत गाए। 

श्री मद भागवत में गुरूवार को कथा वाचक श्री चैतन्य जी महाराज ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया।तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया। कथा वाचक आचार्य ने कहा जहाँ देने ही देने की भावनाएं हैं वहाँ प्रेम है।कथा में रुक्मणी विवाह का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें वैदिक विधि विधान से विवाह उत्सव मनाया गया श्रद्धालुओं ने विवाह उत्सव में भक्ति में गीत गाकर नृत्य प्रस्तुत कर उत्सव मनाया।श्रद्धालुओं ने कन्यादान किया।मुख्य यजमान मनीष गोयल, सन्नी अग्रवाल रहे।इससे पूर्व कथा का उद्घाटन वरिष्ठ भाजपा नेता संजय राठी व दीप प्रज्ज्वलित सतीश फ़ौजी ने किया।

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