मेला गुघाल में ‘मुकाबला-ए-कव्वाली’ का आयोजन
रिपोर्ट-अमान उल्ला खान
मशहूर शायर आबिद हसन वफा के संचालन में सुबह करीब चार बजे तक चले कव्वाली मुकाबले में उत्तराखण्ड से आये मशहूर कव्वाल शाने आलम साबरी और संभल से आयी सनम वारसी के बीच कई दौर का मुकाबला चला। कव्वाली मुकाबला देखने व सुनने के लिए जनमंच सभागार खचाखच भरा रहा। भीड़ को देखते हुए सभागार के बाहर मुख्य गेट और जनमंच परिसर में दो एलईडी स्क्रीन भी लगायी गयी थी। कव्वाल सनम वारसी ने जब हारमोनियम, सारंगी, तबला व ढोलक आदि वाद्य यंत्रों की थाप के बीच पढ़ा- ‘‘खुदा कभी दौलत नहीं देता कंजूस लोगों को/खजाना उसको ही मिलता है जो तकसीम करता है।’’ तो पूरा हाल तालियों से गंूज उठा। शाने आलम साबरी के कलाम पर तो श्रोता कुर्सियों से ही उछल पडे़। उनका अंदाज़ देखिए-‘‘तुम्हारे हर सितम पर मुस्कुराना हमको आता है/लगाओ आग पानी मंे बुझाना हमको आता है।’’इसके अलावा उमर दराज चिश्ती व शाहनवाज साबरी ने भी एक से बढ़कर एक कव्वाली पेश की। उमर दराज चिश्ती ने भी खूब तालियां बटोरी। उनकी बानगी देखिए-‘सामने आओगे या आज भी परदा होगा/रोज ऐसा ही अगर होगा तो कैसे होगा।’’ चारों कव्वालों ने नात ए पाक से शुरुआत की। जबकि शाहनवाज़ ने ‘‘हम्द’’ पढ़ी। मुकाबले में शाने आलम साबरी एंड पार्टी को प्रथम और सनम वारसी को द्वितीय स्थान मिला। पुरस्कार आजम शाह ने प्रदान किए।कार्यक्रम में मेलाधिकारी राजेश यादव, निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ.संदीप मिश्रा, शीतल टण्डन, कर्नल संजय मिड्ढ़ा, पार्षद आसिफ, मंसूर बदर, फहाद सलीम, पार्षद प्रतिनिधि सईद सिद्दकी, शहजाद चौधरी, अमजद अहमद, अनवर कुरैशी, मुकीम राणा, खालिद मुर्तजा, नावेद सिद्दकी, दानिश सिद्दकी, बाबर गाजी, शाहजेब सिद्दकी आदि मौजूद रहे। संचालन शायर आबिद हसन वफा ने किया।
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