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राजस्थान मान-सम्मान और बलिदान की धरती-राष्ट्रपति

राजस्थान मान-सम्मान और बलिदान की धरती-राष्ट्रपति
रिपोर्ट-अमान उल्ला खान

जयपुर,-राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु ने राजस्थान विधानसभा के सभी सदस्यों एवं जनप्रतिनिधियों का आह्वान किया है कि प्रदेश की सात करोड़ जनता ने जिस विश्वास, प्यार और आकांक्षाओं के साथ उन्हें सदन में चुनकर भेजा है, वे उस पर खरा उतरें। उन्होंने कहा कि जनप्रतिधि 'मैं और मेरा' की भावना से ऊपर उठकर 'मेरा देश, मेरी जनता' की सोच के साथ जन कल्याण के अपने दायित्वों का पूर्ण निष्ठा से निर्वहन करें, तभी प्रदेश और समाज प्रगति की दिशा में और अधिक तेजी से आगे बढ़ेगा। 

श्रीमती मुर्मु शुक्रवार को 15वीं राज्य विधानसभा के पुनः आरम्भ हुए सत्र में विशेष उद्बोधन दे रही थीं। उन्होंने उपस्थित विधायकगणों से कहा कि आपमें से कई विधायक ऐसे हैं, जिन पर जनता ने विश्वास व्यक्त कर कई बार सदन में चुनकर भेजा है। ऐसे में जनप्रतिनिधि के रूप में सर्वोच्च दायित्व है कि आपका चाल-चलन और आचार-व्यवहार जनता में इस विश्वास को और अधिक मजबूती देने वाला हो। उन्होंने कहा कि राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मोहन लाल सुखाड़िया और श्री भैरोसिंह शेखावत जैसे जन सेवकों ने जनप्रतिनिधि के रूप में जो संवैधानिक आदर्श प्रस्तुत किये हैं, उन्हें ध्यान में रखते हुए विधायक समावेशी विकास और जन-हित में काम करने की इस समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि वे सदन में स्वस्थ चर्चाओं के माध्यम से जनता की वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप नियमों और कानूनों का निर्माण करें। उन्होंने सभी विधायकों से न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व जैसे उच्च संवैधानिक आदर्शों की पालना का आह्वान किया। उन्होंने सदस्यों से कहा कि कई बार हम एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं कि आपने कुछ नहीं किया, लेकिन मैं यह कहना चाहूंगी कि सभी सदस्यों को आत्मावलोकन करना चाहिये कि मैंने जनता के लिए क्या किया। राष्ट्रपति ने राजस्थान को विविधताओं का सुंदर प्रतिरूप बताते हुए यहां की समृद्धशाली परम्पराओं, सभ्यता, संस्कृति, गौरवशाली इतिहास और अनूठी लोक कला, हस्तकला और स्थापत्य कला का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान मान-सम्मान और बलिदान की धरती है। उन्होंने महाराणा प्रताप, राणा सांगा, दूधा भील,  राणा पूंजा भील, मीरा बाई, पृथ्वीराज चौहान, मोती लाल तेजावत, कालीबाई, गोविन्द गुरू, चन्दबरदाई, महाकवि माघ जैसे महापुरुषों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि वर्तमान उपराष्ट्रपति तथा लोकसभा अध्यक्ष भी राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे हैं। श्रीमती मुर्मु ने राजस्थान की अतिथि सत्कार की परम्परा की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए कहा कि 'पधारो म्हारे देश' में अभिव्यक्त भावना को यहां के लोगों ने अपने व्यवहार में ढाला है, इसीलिये देश- विदेश के लोग यहां बार-बार आना चाहते हैं। उन्होंने राजस्थान के लोगों की उद्यमशीलता और पुरुषार्थ की भी सराहना की।राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने अपने उद्बोधन में विधायकों से सदन की मर्यादा को कायम रखते हुए लोकतंत्र के सशक्तीकरण के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विधायिका यदि प्रभावी रूप में कार्य करती है तो उसका सीधा असर कार्यपालिका पर भी पड़ता है। इससे जनहित से जुड़े मुद्दों, विकास कार्यों और जन—कल्याणकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकता हैइससे पहले स्वागत उद्बोधन में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र की ही विशेषता है कि एक साधारण परिवार का व्यक्ति देश के सर्वोच्च पद पर पहुंच सकता है। उन्होंने राज्य विधानसभा में पहली बार राष्ट्रपति के आगमन को ऐतिहासिक बताते हुए श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का स्वागत किया। उन्होंने आजादी के बाद संसदीय लोकतंत्र के माध्यम से देश और राज्य में हुए विकास की चर्चा करते हुए कहा कि लोकतंत्र जनता को समता और न्याय के लिए कार्य करने को प्रेरित करता है। उन्होंने सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए सभी को मिलकर कार्य करने का भी आह्वान किया आरम्भ में राज्यपाल श्री मिश्र ने राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु को हरियाली और खुशहाली के प्रतीक के रूप में पौधा और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री महावीर प्रसाद शर्मा ने किया। विधानसभा में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में राज्यमंत्रिपरिषद् के सदस्य, सांसद, विधायक, पूर्व विधायक एवं  गणमान्य जन उपस्थित रहे।
 

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